Book Title: Uvavai Suttam
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Jivan Karyalay

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Page 85
________________ उववाई सूत्तं . से णं भंते ! अम्मडे देवे तारो देवलोगाओ श्राउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं चर्य चइत्ता कहिं गच्छिहिति कहिं उववजिहिति ? . गोयमा ! महाविदेहे वासे जाइं कुलाइं भवंति अड्ढाई दित्ताई वित्ताई विच्छिण्णविउलभवणसयणासणजाणवाहणाई बहुधणजायरूवरययाई प्राभोगपश्रोगसंपउत्ताई विच्छड्डियपउरभत्तपाणाई बहुदासीदासगोमहिसगवेलगप्पभूयाइं बहुजणस्स अपरिभृयाइं तहप्पगारेसु कुलेसु पुमत्ताए पच्चायाहिति । तएणं तस्स दारगस्स गन्भत्थस्स चेव समा. णस्स अम्मापिईणं धम्मे दढा पइण्णा भविस्सइ । से णं तत्थ णवण्हं मासाणं बहुपडिपुराणाणं श्रद्धठमाणराइंदियाणवीइकताणं सुकुमालपाणिपाए जाव ससिसोमाकारे कंते पियदंसणे सुरूवे दारए पयाहिति । तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे ठियवडियं काहिंति, बिइयदिवसे चंदसूरदंसणियं काहिंति, छठे दिवसे जागरियं काहिंति, एक्कारसमे दिवसे वीइकते णिव्वित्ते असुइजायकम्मकरणे संपत्ते बारसाहे दिवसे अम्मापियरो इर्म ६

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