Book Title: Uvavai Suttam
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Jivan Karyalay
View full book text
________________
७६
उत्रवाई सूक्तं
सव्वे मेहुणे पचक्रवाए जावजीवाए, थूलए परिग्गहे पच्चक्खाए जावजीवाए, इयाणिं अम्हे समणस्स भगवो महावीरस्स अंतिए सव्वं पाणाइवायं पञ्चक्खामो जावज्जीवाए, एवं जाव सव्वं परिग्गहं पचक्खामो जावजीवाए, सव्वं कोहं माणं माय लोहं पेज दोसं कलहं अभक्खाणं पेसुण्णं परपरिवायं अरइरई मायामोसं मिच्छादंसणसल्लं अकरणिज्जं जोगं पञ्चक्खामो जावजीवाए, सव्वं असणं पाणं खाइमं साइमं चउविहं पिाहारं पञ्चक्खामो जावजोवाए। जंपि य इमं सरीरं इ8 कंतं पियं मणुगणं मणामं [पेजं] थेज्जं वेसासियं संमयं बहुमयं अणुमयं भंडकरंडगसमाणं मा णं सीयं मा णं उन्हं मा णं खुहा मा णं पिवासा मा णं वाला मा णं चोरा मा णं दंसा मा णं मसगा मा णं वाइयपित्तिय [ ] संमिवाइयविविहा रोगायंका परीसहोवसग्गा फुसंतु त्तिकटु एयंपिणं चरमेहिं उसास णीसासेहिं वोसिरामि त्तिकटु संलेहणाझूसणाझूसिया भत्तपाणपडियाइक्खिया पाअोवगया कालं अणवकंखमाणा विहरति ।
तए णं ते परिवाया बहूई भत्ताइं अणसणाए छेदेन्ति छेदित्ता आलोइयपडिकता समाहिपत्ता

Page Navigation
1 ... 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110