Book Title: Uvavai Suttam
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Jivan Karyalay
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उववाई सूत्तं पाई पच्चुवेक्खेह २ त्ता वाहाणाई संपसज्जइ २ त्ता वाहणाई णीणेइ.२ त्ता वाहणाई अप्फालेइ २ त्ता इसे पवीणेइ २ त्ता वाहणाइं समलंकरेइ २ त्ता जाहणाई वरभंडगमंडियाइं करेइ २त्ता वाहणाई जाणाइं जोएइ २ त्ता पोयललुि पोयधरए य समं प्राडहइ २ त्ता वट्टमग्गं गाहेइ २ त्ता जेणेव बलवाउए तेणेव उवागच्छइ २ त्ता बलवाउस्स एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणइ ।
तए णं से बलवाउए एयरगुत्तियं प्रामंतेइ २त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवासुप्पिया। चंपं गरि सभितरबाहिरियं श्रासित्त जाव कारवेत्ता एयमाणत्तियं पचप्पिणाहि। ___ तए णं से एयरगुत्तिए बलवाउयस्स एयम8 भाणाए विणएणं पडिमुणेइ २ त्ता चंपं एयरिं सभितरबाहिरियं प्रासित्त जाव कारवेत्ता जेणेव बलवाउए तेणेव उवागच्छइ २ त्ता एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणइ।
तए णं से बलवाउए कोणियत्स रगणो भंभ. सार पुत्तस्स आभिसेकं हत्थिरयणं पडिकप्पियं पासइ हयगय जाव सरणाहियं पासइ, सुभद्दापसुहाणं देवीणं पडिजाणाइं उवठ्ठवियाई पासा चंपं.

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