Book Title: Uvavai Suttam
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Jivan Karyalay
View full book text
________________
१२
उववाई सूत्तं
डहभेरिझल्लरिखरमुहिहुडुक्कमुखमुअगदुंदुहिणिग्यो सणाइयरवेणं चंपाए णयरीए मझ मझेणं णिग्गछइ ॥
(सू० ३२) तए णं तस्स कूणियस्स रणो चंपानगरिं मझमझेणं निग्गच्छमाणस्स बहवे अत्यत्थिया कामत्थिया भोगस्थिया किब्बिसिया कारोडिया लाभत्थिया कारवाहिया संखिया चकिया णंगलिया मुहमंगलिया वद्धमाणा पुस्समाणवा खंडियगणा ताहिं इठ्ठाहिं कंताहिं पियाहिं मणुगणाहिं मणामाहिं मणाभिरामाहिं [] हिययगमणिज्जाहिं वग्गूहिं जयविजयमंगलसएहिं अणवरयं अभिणंदंता य अभित्थुणता य एवं वयासी-जय जय गंदा ! जय जय भद्दा ! भई ते अजियं जिणाहि जियं (च) पालेहि जियमझे वसाहि । इंदो इव देवाणं चमरो इव असुराणं धरणो इव नागाणं चंदो इव ताराणं भरहो इव मणुयाणं बहई वासाई बहूई वाससयाई बहूई वाससहस्साई बहूई वाससयसहस्साई अणहसमग्गो हतुट्ठो परमाउं पालयाहि इजणसंपरिवुडो चंपाए णयरीए अण्णसिं च बहूणं गाभागरणयरखेडकब्बडदोणमुहमडंबपट्टणासमनिगमसंवाहसं

Page Navigation
1 ... 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110