Book Title: Uvavai Suttam
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Jivan Karyalay
View full book text
________________
उववाई सूत्तं आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिया उच्चारपासवणखेलसिंघाणजल्लपारिठ्ठावणियासमिया मणगुत्ता वयगुत्ता कायगुत्ता गुत्ता गुत्तिदिया गुत्तबंभयारी श्रममा अकिंचणा [ ] छिण्णग्गंथा छिरपासोया निरुवलेवा कंसपाईव मुक्कतोया संख इव निरंगणा जीवो विव अपडिहयगई जच्चकणगंपिव जायरूवा श्रादरिसफलगा इव पागडभाव कुम्मो इव गुत्तिदिया पुक्खरपत्तं व निरुवलेवा गगणमिव निरालंवणा अणिलो इव निरालया चंदो इव सोमलेसा सूरो इव दित्ततेयासागरो इव गंभीरा विहग इव सव्वलो विप्पमुक्का मंदरो इव अपकंपा सारयसलिलं इंव सुद्धहियया खग्गिविसाणं व एगजाया भारंडपक्खी व अप्पमत्ता कुंजरो इव सोंडीरा. वसभो इव जायत्थामा सीहो इव दुध्दरिसा वसुंधरा इव सव्वफासविसहा सुहुयहुयासणे इब तेयसा जलता। . नत्थि णं तेसिणं भगवंताणं कत्थइ पडिबंधे भवइ, से य पडिबंधे चउव्विहे पण्णत्ते, तं जहादव्वो खित्तमो कालो भावो, व्वरोणं सचित्ताचित्तमीसिएसु वेसु, खेत्तो गामे वा गयरे वा रगणे वा खेचे बा खेले वा घरे वा अंगणे.

Page Navigation
1 ... 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110