Book Title: Uvavai Suttam
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Jivan Karyalay

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Page 100
________________ उत्रवाई सूत्तं मंथं करेइ । चउत्थे समए लोयं पूरेइ । पंचमे समए लोयं पडिसाहरइ । छट्टे समए मंथं पडिसाहरइ । सत्तमे समए कवाडं पडिसाहरइ। अट्ठमे समए दंडं पडिसाहरइ तो पच्छा सरीरत्थे भवइ ॥६॥ से णं भंते ! तहा समग्घायं गए किं मणजोगं जंजइ ? वेयजोगं जुजइ ? काययोगंजंजइ ? गोयमा ! णो मणजोगं जुजइ, णोवयजोगं जुजई कायजोर्ग झुंजइ, कायजोगं जुजइ ॥७॥ ___कायजोगं जंजमाणे किं अोरालियसरीरकायजोगं जुजइ ? ओरालियमिस्ससरीरकायजोगं जंजइ ? वेउव्वियसरीरकायजोगं मुंजइ ? वेउब्वियमिस्सरीरकायजोगं जुजइ ? आहारगसरीरकायजोगं जुजइ ? आहारगमिस्ससरीरकायजोगं जुंजइ ? कम्मसरीरकायजोगं मुंजइ ? गोयमा ! ओरालियसरीरकायजोगं जुंजइ, पोरालियमिस्तसरीरकायजोगंपि जुजइ, णो वेउव्वियसरीरकायजोगं जंजइ णो वेउव्वियमिस्ससरीरकायजोगं जुजइ, णो आहारगसरीरकायजोगं जुजइ णो श्राहारगमिस्ससरी. रकायजोगं मुंजइ कम्मसरीरकायजोगं पि जंजइ, पढमढमेमु समएसु ओरालियसरीरकायजोगं जुजह बिइयछट्ठसत्तमेसु समएसु अोरालियमि

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