Book Title: Uvavai Suttam
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Jivan Karyalay

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Page 16
________________ उववाई सूत्तं गमंगलंकियचलणे विसिहरूवे हुयवहनिध्दूमजलियतडितडियतरुणरविकिरणसरिसतेए अणासवे अममे अकिंचणे छिन्नमोए निरुवलेवे ववगयपेमरागदोसमोहे निग्गंथस्स पवयणस्स देसए सत्थनायगे पहठ्ठावए समणगपई समणगविंदपरिअहए चउत्तीसबुध्दवयणाइसेसपत्ते पणतीससच्चवयणाइसेसपत्ते आगासगएणं चक्कणं आगासगएणं छत्तेणं अागासियाहिं चामराहिं आगासफालियामएणं सपायवोढणं सींहासणेणं धम्मज्झएणं पुरो पकद्विज्जमाणेणं ( चउद्दसहिं समणसाहस्सोहिं छत्तीसाए अज्जियामाहस्तीहिं )सध्दि संपरिवुडे पुव्वाणुपुर्दिव चरमाणेगामाणुग्गामं दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे चंपाए णयरीऐ बहिया उवणगरग्गामं उवागए चंपं नगरिपुरुण भदं चेइयं समोसरिउकामे।। (सू० ११) तएणं से पवित्तिवाउए इमीसे कहाए लद्धढे समाणे हह तुचित्तमाणंदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए एहाए कयवलिगम्मेकयकोउयमंगलपायछित्तेसुद्धप्पावेसा मंगलाई वत्थाई पवरपरिहिए अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे सयानो गिहारो पडिणिक्खमइ सयात्रो गिहारो पडिणिक्खमित्ता चंपाए गयरीए मझ

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