Book Title: Uvavai Suttam
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Jivan Karyalay
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उववाई सूत्तं राईभोयणाश्रो वेरमणं अयमाउसो ! अणगारसामाइऐ धम्मे पएणत्ते, एयस्स धम्मस्स सिक्खाए उवठ्ठिए णिग्गंथे वा णिग्गंथी वा विहरमाणे आणाए अाराहए भवति ।
अगारधम्म दुवालसविंह आइक्खइ,तं जहा:(१) पंच अणुव्वयाई (२) तिणि गुणव्याई, (३ ) चत्तारि सिक्खावयाई। पंच अणुव्वयाई, तं जहा-(१) थूलाओ पाणाइवायाओ वेरमणं (२) थूलाओ मुमावायात्रो मेरमणं ( ३ ) थूलाओ अदिण्णादात्रो वेरमणं ( ४ ) सदारसंतोसे (५) इच्छापरिमाणे । तिणि गुणव्वयाई तं जहा-(६) अणत्थदंडवेरमणं (७) दिसिव्वयं (८) उवभोगपरिभोमपरिमाणं । चत्तारि सिक्खावयाई, तं जहा-(8) सामाइयं (१०) देसावयासियं (११) पोसहोवववासे (१२) अतिहिसंविभागे, अपछिमा मारणंतिया संहणाजूसणाराहणा अयमाउसो ! अगारसामाइए धम्मे परणत्ते एयस्स धम्मस्स सिक्खाए उवहिए समणोवासए वा समणोवासिया वा विहरमाणे आणाए अाराहए भवइ ।
(सू. ३५)तए णं सामहतिमहालिया मणसपरिसा समणस्स भगवो महावीरस्स अंतिए धम्म

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