Book Title: Uvavai Suttam
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Jivan Karyalay
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उबवाई सूत्तं णणे मउडदित्तसरिए हारोत्थयसुकयरइयवच्छे पालंबपलबमाणपडसुकयउत्तरिज्जे गाणामणिक णगरयणविमलमहरिहणिउणोवियमिसिमिसंतविरइयसुसिलिट्टविसिठ्ठलठ्ठाविद्धवीरवलए किं बहुणा कप्परुक्खए चेव प्रलंकियविभूसिए णरवई सकोरंटमल्लदामेणं [ छत्तणंधरिज्जमाणेणं चउचामरवालवीइयंगे [ ] मंगलजयसद्दकयालोए मजणघरामो पडिणिक्खमइ २ ता अणेगगणनायगदंडनायगराईसरतलवरमाडंबियकोडुंबियइन्भसेडिसेणावइसत्यवाहदयसंधिवालसद्धिं संपरिवुडे धबल महा. मेहाणिग्गए इव गहगणदिप्पंतरिक्खतारागणाण मज्झे ससिव्व पिअदंसणे णरवई जेणेव बाहिरिया उवठ्ठाणसाला जेणेव आभिसेके हत्थिरयणे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता अंजणगिरिकूडसारणभं गयवई णरवई दुरुढे ।
तए णं तस्स कूणियस्स रणो भंभसारपुत्तस्स प्राभिसेक्कं हत्थिरयणं दुरूढस्स समाणस्स तप्पढमयाए इमे अठ्ठ मंगलया पुरो अहाणुपुवीए संपठिया, तं जहा:-सोवत्थिय-सिरिवच्छ-णंदियावत्त-वद्धमाणग-भद्दासण-कलसमच्छ-दपण । तयाणंतरं च णं पुण्णकलसभिं

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