Book Title: Uvavai Suttam
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Jivan Karyalay

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Page 10
________________ उववाई सूर्त अहमुत्तयलयाहिं कुंदलयाहिं सामलयाहिं सव्वो समंता संपरिखित्ता। तानो णं पउमलयाश्रो णिच्चं कसमियात्रो जाव वडिंसयधरीओ पासादीयानो दरिसणिज्जात्रो अभिरुवाओ पडिरूवाओ॥ ___. (सू० ५) तस्त णं असोगवरपायवस्स हट्ठा ईसिं खंधसमल्लीणे एत्थ णं महं एक पुढविसिलापट्टए पएणत्ते, विक्खंभायामउस्सेहसुप्पमाणे किरहे अंजणघणकिवाणकुवलयहलधरकोसेजागासके सकजलंगीखंजणसिंगभेदरिट्ठयजंबूफलअसणसकणबंधणणीलुप्पलपत्तनिकरप्रयसिकुसुमप्पगासे मरगयमसारकलित्तणयणकीयरासिवरणे णिद्धघणे अट्ठसिरे पायंसयतलोवमे सुरम्मे ईहामियउसभतुरगनरमगरविहगवालगकिरणररुरुसरभचमरकुंजर वणलयपउमलयभत्तिचित्ते आईणगरूयबरणवणीय तुलफरिसेसीहा सणसंठिए पासादीए दरिसणिज्जे अभिरुवेपाडिरूवे ॥ - (सू. ६) तत्थ णं चंपाए णयरीए कूणिए णाम राया परिवसइ, महयाहिमवंतमहंतमलयमंदरमहिंदसारे अच्चंतविसुद्धदीहरायकुलवंससुप्पसूए जिरंतरं रायलक्खणविराइयंगमंगे बहुजणबहुमाणपूहए

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