Book Title: Uvavai Suttam
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Jivan Karyalay

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Page 53
________________ उववाई सूत्तं गारं दिव्वा य छत्तपडागा सचामरा दसणरइयआलोयदरिसणिज्जा वाउद्धयविजयवेजयंती य ऊसिया गगणतलमणुलिहंती पुरो अहाणुपुबीए संपठिया, तयाणंतरं च णं वेरुलियभिसंतविमलदंडं पलंबकोरंटमल्लदामोवसोभियं चंदमण्डलणिभं समूसियं विमलं प्रायवत्तं पवरं सीहास] वरमणिरयणपादपीढं सपाउयाजोयसमाउत्तं बहुकिंकरकम्मकरपुरिसपायत्तपरिक्खित्तं पुरो अहाणुपुवीए संपट्टियं । तयाणंतरं च णं बहवे लट्ठिग्गाहा कुंतग्गाहा चावग्गाहाचामरग्गाहापासग्गाहा पोत्थयग्गाहा फलगग्गाहा पीढग्गाह वीणग्गाहा कूवग्गाहा हडप्पयग्गाहा पुरो अहाणुष्व्वीए संपट्ठिया। तयाणंतरं च णं बहवे दंडिणोमुंडिणो सिहंडिणो जडिणो पिच्छिणो हासकरा डमरकरा चाडुकरा वादकरा कंदप्पकरा द्वारा कोकुइया किहिकरा (य) वायंता (य) गायंता (य) हसंता (य) णच्चंता (य) भासंता (य) सावेंता (य) रक्खंता (य) [कचित्रवेंता य] अालोयं च करेमाणाजय २ सई पउंजमाणा पुरो अहा-णुपुवीए संपंछिया । [ ] तयाऽणंतरं च णं] जच्चाणं तरमल्लिहायणाणं हरिमेलामउलमल्लियच्छाणं चुचुच्चियललियपुलिय

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