Book Title: Uvavai Suttam Author(s): Chotelal Yati Publisher: Jivan Karyalay View full book textPage 9
________________ उववाई सूत्तं अगर हजाणजुग्गसिवियपविमोयणा सुरम्मा पासादीया दरिसणिज्जा अभिरुवा पडिरूवा ॥ ( सू० ४ ) तस्स णं वणसंडस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एक्के असोगवरपायवे, पण्णत्ते [ ] कुसविकुसविसुद्धरुक्खमूले मूलमंते कंदमंते जाव परिमोयणे सुरम्मे पासादीए दरिसणिज्जे अभिरूवे परुिवे । सेणं असोगवरपायवे अहिं बहूहिं तिलएहिं लउएहिं छत्तोवेहिं सिरीसेहिं सत्तवण्णेहिं दहिवरणेहिं लोद्ध हिं धवेहिं चंदणेहिं अज्जुणेहिं जीवेहिं कुडएहिं कलंबेहिं सव्वेहिं फणसेहिं दाडिमेहिं सालेहिं तालेहिं तमालेहिं पियएहिं पियंगूहिं पुरोवगेहिं रायरुक्खेहिं णं देरुक्खेहिं सव्वश्र समता संपरिक्खिते । " ते णं तिलया लवइया जाव णंदिरुक्खा कुसविकुसविद्धरुक्खमूला मूलमंतो कंदमंतो एएसिं वो भाषियन्त्रो जाव सिबियपरिमोयणा सुरमा पासादीया दरिसपिज्जा अभिरुवा पडिवा । ते णं तिलया जाव मंदिरुक्खा असणेहिं बहूहिं पउमलेयाहिं णागलयाहिं असोअलयाहिं चंपगल-याहिं चूयलयाहिं वणलयाहिं वासंतियलया हिंPage Navigation
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