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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दादागुरु देव पूजा संग्रह ५-दीपक पूजा। दूहागुरु दीपक पूजा करो, प्रकटे परम प्रकाश । दीपक गुण विस्तारतें, हृदय तिमिर हो नाश ॥ (तर्ज-प्रभुधर्मनाथ मोहे प्यारा जगजीवन मोहन गारा ) * राग वनजारा * पूजो पूजो परम गुरु प्यारे, जिनदत्त जगत रखवारे । टेर॥ अम्बा अक्षर लिख देती, नागदेव को श्रीमुख कहेती। जो बांचे गुण अनुसारे, सो युगवर पद गुण धारे।। पूजो पूजो परम गुरु० ॥ १ ॥ जब कोई नहीं पढ़ पाया, तब श्रीगुरु को दिखलाया। निज वास चूर्ण गुरु डारे, पढ़ चेला वचन उचारे ॥ पूजो २ परम गुरु० ॥२॥ जय जय जिनदत्त प्रधाना, मरुधर में कल्प समाना । सुर सेवक सेवा सारे, सब दुःख दुर्गति को बारें॥ पूजो २ परम गुरु० ॥ ३ ॥ गोहिल-डांभी अन्याये, मरुवासी जब दुःख पाये ॥ जशा-पोकर विप्र बिचारे, तब श्रीगुरुशरण सिधारे । पूजो २ परम गुरु० ॥ ४ ॥ For Private And Personal Use Only
SR No.020167
Book TitleDada Gurudevo ki Char Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarisagarsuri
PublisherJain Shwetambar Upashray Committee
Publication Year
Total Pages115
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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