Book Title: Uvavai Suttam Author(s): Chotelal Yati Publisher: Jivan Karyalay View full book textPage 7
________________ उबवाई सूतं हुस्स आहुणिज्जे पाहुणिज्जे अच्चणिज्जे बंदणिज्जे नम॑सणिज्जे पूयपिज्जे सक्कार णिज्जे सम्मावाणिज्जे कल्लाणं मंगलं देवयं चेहयं विणएणं पज्जुवासणिज्जे दिव्वे सच्चे सच्चोवाए सरिणहियपाडिहेरे जागसहस्तभागपडिच्छए बहुजणो अच्चेइ आगम्म पुरणभद्दं चेइयं पुरणभद्दं चेइयं ॥ ( सू० ३ ) से णं पुणभद्दे चेइए एक्केणं महया वणसंडेणं सव्वच समता संपरिक्खिते, से णं Tuis for freहोभासे नीले नीलोभासे हरिए हरिप्रभा से सीए सीओ भासे षिद्धे षिद्धोभासे तिब्वे तिव्वोभासे किएहे किएहच्छाए नीले नीलaare हरिए हरियच्छाए सीए सीयच्छाए गिद्ध े णिद्धच्छाए तिव्वे तिव्वच्छाए घणकडिअक डिच्छाए रम्मे महामेहणिकुरंबभूए । ते णं पायवा मूलमंतो कंदमंतो खंधमंतो तयामंतो सालमंती पवालमंतो पत्तमंतो पुप्फमंतो फलमंतो बीयमंतो अणुपुव्वसुजायरुद्दलवट्टभावपरिणया एकखंधा अणेगसाला अणेगसाहप्पसाहविडिमा गनरवामसुप्पसारिय अग्गेज्झघणविउलवट्टस्त्वंधा अच्छिद्द पत्ता अविरलपत्ता अवाईणपत्ता पत्ता [ ] निद्धयजरढपंडुपत्ता वहPage Navigation
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