________________
Version 002: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates
४२]
[मोक्षमार्गप्रकाशक
यहाँ ऐसा जानना कि वे कारण ही सुख-दुःखको उत्पन्न नहीं करते, आत्मा मोहकर्म उदयसे स्वयं सुख-दुःख मानता है। वहाँ वेदनीयकर्म के उदयका और मोहकर्म के उदय का ऐसा ही सम्बन्ध है। जब सातावेदनीयका उत्पन्न किया बाह्य कारण मिलता है तब तो सुख मानने रूप मोहकर्मका उदय होता है, और जब असातावेदनीयका उत्पन्न किया बाह्य कारण मिलता है तब दुःख मानने रूप मोहकर्मका उदय होता है।
___ तथा यही कारण किसी को सुखका , किसी को दुःख का कारण होता है। जैसे - किसी को सातावेदनीयका उदय होने पर मिला हुआ जैसा वस्त्र सुख का कारण होता है, वैसा ही वस्त्र किसी को असातावेदनीयका का उदय होने पर मिला सो दुःख का कारण होता है। इसलिये बाह्य वस्तु सुख-दुःख का निमित्तमात्र होती है। सुख-दुःख होता है वह मोह के निमित्तसे होता है। निर्मोही मुनियों को अनेक ऋद्धि आदि तथा परिषह आदि कारण मिलते हैं तथापि सुख-दुःख उत्पन्न नहीं होता। मोही जीव को कारण मिलने पर अथवा बिना कारण मिले भी अपने संकल्प ही से सुख-दुःख हुआ ही करता है। वहाँ भी तीव्र मोही को जिस कारण के मिलने पर तीव्र सुख-दुःख होते हैं, वही कारण मिलने पर मंद मोही को मंद सुख-दुःख होते हैं।
इस लिये सुख-दुःखका मूल बलवान कारण मोहका उदय है। अन्य वस्तुएँ हैं वे बलवान कारण नहीं हैं; परन्तु अन्य वस्तुओंके और मोही जीवके परिणामों के निमित्तनैमित्तिक की मुख्यता पायी जाती है; उससे मोही जीव अन्य वस्तु ही को सुख-दुःखका कारण मानता है।
इस प्रकार वेदनीय से सुख-दुःखका कारण उत्पन्न होता है।
आयुकर्मोदयजन्य अवस्था
तथा आयुकर्म के उदय से मनुष्यादि पर्यायों की स्थिति रहती है। जब तक आयु का उदय रहता है तब तक अनेक रोगादिक कारण मिलने पर भी शरीर से सम्बन्ध नहीं छूटता। तथा जब आयुका उदय न हो तब अनेक उपाय करने पर भी शरीर से संबन्ध नहीं रहता, उस ही काल आत्मा और शरीर पृथक हो जाते हैं।
इस संसार में जन्म, जीवन, मरणका कारण आयुकर्म ही है। जब नवीन आयुका उदय होता है तब नवीन पर्याय में जन्म होता है। तथा जब तक आयुका उदय रहे तब तक उस पर्यायरूप प्राणोंके धारणसे जीना होता है। तथा आयुका क्षय हो तब उस पर्यायरूप प्राण छूटने से मरण होता है। सहज ही ऐसा आयुकर्मका निमित्त है; दूसरा कोई उत्पन्न करने वाला, क्षय करने वाला या रक्षा करने वाला है नहीं - ऐसा निश्चय जानना।
Please inform us of any errors on rajesh@ AtmaDharma.com