Book Title: Moksh marg prakashak
Author(s): Todarmal Pandit
Publisher: Kundkund Kahan Digambar Jain Trust

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Page 379
________________ Version 002: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates नौवाँ अधिकार] [३३५ मिश्रमोहनीयका भी क्षय करता है वहाँ सम्यक्त्वमोहनीय की ही सत्ता रहती है। पश्चात् सम्यक्त्वमोहनीय की काण्डकघातादि क्रिया नहीं करता, वहाँ कृतकृत्यवेदकसम्यग्दृष्टि नाम पाता है - ऐसा जानना। __ तथा इस क्षयोपशमसम्यक्त्व ही का नाम वेदकसम्यक्त्व है। जहाँ मिथ्यात्वमिश्रमोहनीयकी मुख्यता से कहा जाये, वहाँ क्षयोपशम नाम पाता है। सम्यक्त्वमोहनीयकी मुख्यता से कहा जाये, वहाँ वेदक नाम पाता है। सो कथनमात्र दो नाम हैं, स्वरूप में भेद नहीं है। तथा यह क्षयोपशमसम्यक्त्व चतुर्थादि सप्तमगुणस्थान पर्यन्त पाया जाता है। इसप्रकार क्षयोपशमसम्यक्त्वका स्वरूप कहा। तथा तीनों प्रकृतियोंके सर्वथा सर्व निषेकोंका नाश होनेपर अत्यन्त निर्मल तत्त्वार्थश्रद्धान हो सो क्षायिकसम्यक्त्व है। सो चतुर्थादि चार गुणस्थानोंमें कहीं क्षयोपशमसम्यग्दृष्टिको इसकी प्राप्ति होती है। कैसे होती है? सो कहते हैं :- प्रथम तीन करण द्वारा वहाँ मिथ्यात्व के परमाणुओंको मिश्रमोहनीय व सम्यक्त्वमोहनीयरूप परिणमित करे व निर्जरा करे; -इसप्रकार मिथ्यात्व की सत्ता नाश करे। तथा मिश्रमोहनीयके परमाणुओंको सम्यक्त्वमोहनीयरूप परिणमित करे व निर्जरा करे; - इसप्रकार मिश्रमोहनीयका नाश करे। तथा सम्यक्त्वमोहनीय के निषेक उदयमें आकर खिरें, उसकी बहुत स्थिति आदि हो तो उसे स्थितिकाण्डकादि द्वारा घटाये। जहाँ अन्तर्मुहूर्त स्थिति रहे तब कृतकृत्यवेदकसम्यग्दृष्टि हो। तथा अनुक्रमसे इन निषेकोंका नाश करके क्षायिकसम्यग्दृष्टि होता है। सो यह प्रतिपक्षी कर्मके अभाव से निर्मल है व मिथ्यात्वरूप रंजनाके अभावसे वीतराग है; इसका नाश नहीं होता। जबसे उत्पन्न हो तब से सिद्ध अवस्था पर्यन्त इसका सद्भाव है। इसप्रकार क्षायिकसम्यक्त्व का स्वरूप कहा। ऐसे तीन भेद सम्यक्त्व के हैं। तथा अनन्तानुबन्धी कषाय की सम्यक्त्व होनेपर दो अवस्थायें होती हैं। या तो अप्रशस्त उपशम होता है या विसंयोजन होता है। वहाँ जो करण द्वारा उपशम विधान से उपशम हो, उसका नाम प्रशस्त उपशम है। उदयका अभाव उसका नाम अप्रशस्त उपशम है। सो अनन्तानुबंधीका प्रशस्त उपशम तो होता ही नहीं, अन्य मोहकी प्रकृतियोंका होता है। तथा इसका अप्रशस्त उपशम होता है। Please inform us of any errors on rajesh@ AtmaDharma.com

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