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[ मोक्षमार्गप्रकाशक
अथवा बाह्य सामग्रीसे सुख-दुःख मानते हैं सो ही भ्रम है। सुख-दुःख तो साताअसाताका उदय होनेपर मोहके निमित्तसे होते हैं - ऐसा प्रत्यक्ष देखनेमें आता है। लक्ष धनके धनीको सहस्त्र धनका व्यय हुआ तब वह तो दुःखी है और शत धनके धनीको सहस्त्र धन हुआ तब वह सुख मानता है। बाह्य सामग्री तो उसके इससे निन्यानवेंगुनी है। अथवा लक्ष धनके धनीको अधिक धन की इच्छा है तो वह दुःखी है और शत धनके धनीको सन्तोष है तो वह सुखी है। तथा समान वस्तु मिलने पर कोई सुख मानता है कोई दुःख मानता है। जैसे - किसीको मोटे वस्त्रका मिलना दुःखकारी होता है, किसीको सुखकारी होता है। तथा शरीरमें क्षुधा आदि पीड़ा व बाह्य इष्टका वियोग, अनिष्टका संयोग होनेपर किसीको बहुत दुःख होता है, किसीको थोड़ा होता है, किसीको नहीं होता। इसलिये सामग्रीके आधीन सुख-दुःख नहीं है, साता-असाताका उदय होनेपर मोह परिणमनके निमित्तसे ही सुख-दुःख मानते हैं।
यहाँ प्रश्न है कि – बाह्य सामग्रीका तो तुम कहते हो वैसा ही है; परन्तु शरीरमें तो पीड़ा होनेपर दुःखी होता ही है और पीड़ा न होनेपर सुखी होता है - यह तो शरीरअवस्थाहीके आधीन सुख-दुःख भासित होते हैं ?
समाधान :- आत्माका तो ज्ञान इन्द्रियाधीन है और इन्द्रियाँ शरीरका अङ्ग हैं, इसलिये इसमें जो अवस्था हो उसे जाननेरूप ज्ञान परिणमित होता है; उसके साथ ही मोहभाव हो, उससे शरीरकी अवस्था द्वारा सुख-दु:ख विशेष जाना जाता है। तथा पुत्र धनादिकसे अधिक मोह हो तो अपने शरीरका कष्ट सहे उसका थोड़ा दुःख माने, और उनको दुःख होनेपर अथवा उनका संयोग मिटने पर बहुत दुःख माने; और मुनि हैं वे शरीरको पीड़ा होनेपर भी कुछ दुःख नहीं मानते; इसलिये सुख-दुःखका मानना तो मोहहीके आधीन है। मोहके और वेदनीयके निमित्त-नैमित्तिक सम्बन्ध है, इसलिये साता-असाता के उदयसे सुख-दुःखका होना भासित होता है। तथा मुख्यतः कितनी ही सामग्री साताके उदयसे होती है, कितनी ही असाताके उदयसे होती है; इसलिये सामग्रियोंसे सुख-दुःख भासित होते हैं। परन्तु निर्धार करने पर मोहहीसे सुख-दुःख का मानना होता है, औरों के द्वारा सुख-दुःख होने का नियम नहीं है। केवलीके साता-असाताका उदय भी है और सुख-दुःखके कारण सामग्रीका संयोग भी है; परन्तु मोह के अभावसे किंचित्मात्र भी सुखदुःख नहीं होता। इसलिये सुख-दुःख को मोहजनित ही मानना। इसलिये तू सामग्रीको दूर करनेका या होनेका उपाय करके दुःख मिटाना चाहे और सुखी होना चाहे सो यह उपाय झूठा है।
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