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तीसरा अधिकार ]
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प्रगट भासित नहीं होती। उनके दुःख एकेन्द्रियवत् जानना; ज्ञानादिकका विशेष है सो विशेष जानना। तथा बड़े पर्याप्त जीव कितने ही सम्मूर्च्छन हैं, कितने ही गर्भज हैं। उनमें ज्ञानादिक प्रगट होते हैं, परन्तु वे विषयोंकी इच्छासे आकुलित हैं। उनमें बहुतोंको तो इष्ट विषयकी प्राप्ति है नहीं; किसीको कदाचित् किंचित् होती है।
तथा मिथ्यात्वभावसे अतत्त्वश्रद्धानी हो ही रहे हैं और कषाय मुख्यतः तीव्र ही पायी जाती हैं। क्रोध-मानसे परस्पर लड़ते हैं, भक्षण करते हैं, दुःख देते हैं; माया-लोभसे छल करते हैं, वस्तुको चाहते हैं; हास्यादिक द्वारा उन कषायोंके कार्योंमें प्रवर्तते हैं। तथा किसीके कदाचित् मंदकषाय होती है, परन्तु थोड़े जीवोंके होती है इसलिये मुख्यता नहीं है।
तथा वेदनीयमें मुख्यतः असाता का उदय है। उससे रोग, पीड़ा, क्षुधा, तृषा, छेदन, भेदन, बहुत भार-वहन, शीत, उष्ण, अंग-भंगादि अवस्था होती है। उससे दुःखी होते प्रत्यक्ष देखे जाते हैं इसलिए बहुत नहीं कहा है। किसीके कदाचित् किंचित् साताका भी उदय होता है परन्तु थोड़े ही जीवोंको है, मुख्यता नहीं है। तथा आयु अन्तर्मुहूर्तसे लेकर कोटि वर्ष पर्यन्त है। वहाँ बहुत जीव अल्प आयुके धारक होते हैं, इसलिये जन्ममरणका
ख पाते हैं। तथा भोगभूमियोंकी बड़ी आयु है और उनके साताका भी उदय है, परन्तु वे जीव थोडे हैं। तथा मख्यतः तो नामकर्मकी तिर्यंचगति आदि पापप्रकतियोंका ही उदय है। किसीको कदाचित् किन्हीं पुण्यप्रकृतियोंका भी उदय होता है, परन्तु थोड़े जीवोंको थोड़ा होता है, मुख्यता नहीं है। तथा गोत्रमें नीच गोत्रका ही उदय है इसलिये हीन हो रहे हैं। - इस प्रकार तिर्यंचगतिमें महा दुःख जानना।
दाख
मनुष्यगतिके दुःख
तथा मनुष्यगतिमें असंख्यात जीव तो लब्धि अपर्याप्त हैं वे सम्मूर्च्छन ही हैं, उनकी आयु तो उच्छवासके अठारहवें भाग मात्र है। तथा कितने ही जीव गर्भमें आकर थोड़े ही कालमें मरण पाते हैं, उनकी तो शक्ति प्रगट भासित नहीं होती; उनके दुःख एकेन्द्रियवत् जानना। विशेष है सो विशेष जानना।
तथा गर्भजोंके कुछ काल गर्भ में रहनेके बाद बाहर निकलना होता है। उनके दुःखका वर्णन कर्म अपेक्षासे पहले वर्णन किया है वैसे जानना। वह सर्व वर्णन गर्भज मनुष्यों के सम्भव है। अथवा तिर्यंचोंका वर्णन किया है उस प्रकार जानना।
विशेष यह है कि - यहाँ कोई शक्ति विशेष पायी जाती है तथा राजादिकों के विशेष साताका उदय होता है तथा क्षत्रियादिकोंको उच्च गोत्रका भी उदय होता है। तथा धनकुम्बादिकका निमित्त विशेष पाया जाता है - इत्यादि विशेष जानना।
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