Book Title: Mohan Sanjivani
Author(s): Rupchand Bhansali, Buddhisagar Gani
Publisher: Jinduttsuri Gyanbhandar

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Page 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ ८ ] रंगितात्मा, नित्यम् । संवेगरंगेन प्रशांतमूर्तिर्विजहार भव्याय जातो य इहोपकारी, नमामि नित्यं मुनिमोहनं तम् ॥ ६ ॥ स महात्मनां सूर्यपूरे तथाऽस्यां, महोपकारः पुरि मोहमय्याम् । जातोऽस्ति तेषां खलु यो हि मुख्यो, नमामि नित्यं मुनिमोहनं तम् ॥ ७ ॥ सन्मान्यो मुनिमोहनो मुनिवरं तं मोहनं भो ! भजे, संजाता मुनिमोहनेन जनता धर्म्या च तस्मै नमः | पुण्यश्रीमुनि मोहनाय मुनिवन्मुम्बाऽधुना मोहनाद्, भूयान्मे मुनिमोहनस्य शरणं भक्तिश्च मे मोहने ॥ ८ ॥ मास्तर विजयचन्द मोहनलाल शाह For Private and Personal Use Only

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