________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
मोहन-संजीवनी
ताणा में स्वनाम धन्य शेठ मोतीशाह की विशाल ढूंक में मूलनायकजी तथा अन्य अनेक जिनबिम्बों की अंजनशलाका व प्रतिष्ठा हुइ थी, लिखा । उनकी अनुमति आने पर मोहन को इन्दौर भेज दिया गया। श्रीपूज्यजीने बालक मोहनलाल की योग्यता की भी परीक्षा करी व दीक्षित करने का निर्णय किया। ____ मक्सीजी मध्य भारत में पार्श्वनाथ भगवान का बड़ा तीर्थस्थान है। दुर्भाग्य से यहां दीर्घकाल तक श्वेतांबर दिगंबरों का झगडा रहा है। तीर्थ बहुत प्रभावक एवं चमत्कारिक है। श्रीपूज्यजी महाराज ने इस होनहार बालक के लिये इसी स्थल को दीक्षास्थान चुना व उसे साथ ले आ पहूंचे। शुभ मुहूर्त देख इस असार संसार से बालक मोहन को दूर कर उसे यतिदीक्षा से संस्कृत किया । __कुछ दिनों श्रीपूज्यजीने यतिश्री मोहनलालजी को अपने साथ रक्खे । श्री अंतरिक्ष पार्श्वनाथजी की यात्रा करी, फिर भोपाल आये ओर नवीन यतिजी को पुनः अपने गुरुके पास जाने की आज्ञा दी। तदनुसार यति मोहनलालजी बम्बइ अपने गुरुजी के पास पहुंचे, अपने उत्तराधिकारी के रूप में "मोहन" को देख महाराजश्री बहुत हर्षित हुए।
गुरु वियोग यतिश्री रूपचंदजी यद्यपि नागौर रहते थे फिर भी यतिधर्मानुसार वे प्रायः धर्मप्रचारार्थ बाहर आते जाते रहते थे। चातुर्मास प्रायः अन्य अन्य नगरों में होता था। ‘महाराजश्री की योग्यता से सब जगह अनेक भक्तगण अपने यहां आमंत्रित किया
For Private and Personal Use Only