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मोहन-संजीवनी
१ सुप्रसिद्ध दानवीर बाबू पन्नालालजी पूरणचंदजी महाराजश्री के विशिष्ट भक्तों में से थे और उन्होंने महाराजश्री के सदुपदेश से अनेक स्थानों पर अनेक संस्थाएं स्थापित की हैं। बाबू पन्नालाल पूरणचंद हाइस्कूल, जैन डिस्पेन्सरी (जैन दवाखाना), जैन मंदिर और पालीताणा की जैन धर्मशाला आदि भी उन्हों में हैं। २ बम्बइ में जैन यात्रियों को ठहरने का सुयोग्य स्थान न था।
महाराजश्रीने उपदेश दिया और श्री भाइचंद तलकचंद सुरतनिवासीने रु. ७५०००) श्री देवकरण मूलजी को सुपुर्द किये उनसे बंबइ लालबाग में धर्मशाला बनी । ३ वालकेश्वर तीन बत्ती पर का श्री आदीश्वर भगवान का मंदिर
भी बाबू पन्नालालजी के सुपुत्र बाबू अमीचंदजीने आपश्री के उपदेश से बनवाया । प्रतिष्ठा भी आपहीने करवाइ। साथ में
वहां उपाश्रय भी बना। ४ जैन विद्यार्थियों के लिये श्री गोकलभाइ मूलचंद जैन होस्टल को
रहने जो एल्फिन्स्टन स्टेशन के पास है आपही के उपदेश से स्थापित हुइ है। ५ सूरत में श्री नेमुभाइ की वाडी जो शेठश्री का निवास स्थान
था आपश्री के उपदेश से साधु मुनियों के ठहरने के लिये उपाश्रय बना। ६ सुरत में श्री हर्षमुनिजी को गणिपद प्रदान करते वख्त में स्थानीय संघने १००,००० रुपिया इकट्ठा किया आज भी उस फंड से जीर्णोद्धार आदि के कार्य होते रहते हैं।
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