Book Title: Mohan Sanjivani
Author(s): Rupchand Bhansali, Buddhisagar Gani
Publisher: Jinduttsuri Gyanbhandar

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Page 81
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुकार्यों का वर्णन ७ सुरत में साधारण जैन जनता के लिये उपयोगपूर्वक भोजन की व्यवस्था हो सके इस लिये सं० १९५३ में एक भोजन शाला खुली जो आज तक चालू है। ८ सूरत में श्री मोहनलालजी जैन ज्ञान भंडार. रावबहादूर सेठ हीराचंद मोतीचंद जैन कन्याशाला, श्री मोहनलालजी जैन उपाश्रय आदि आप के भक्त श्रावकों की ओर से स्थापित हैं। ९ वापी, बगवाडा, पारडी, वलसाड, दहाणु, घोलवड, बोरडी, फणसा, बील्लीमोरा, कतारगांव आदि में मंदिर व धर्मशालाएं आपके ही प्रयत्नों का फल है । १० जोधपुर में ५०० जैनियों को धर्म विमुख होने से बचाने का श्रेय आप ही को है। ११ ब्राह्मणवाडा (बांभणवाडजी) में श्री महावीरस्वामीजी का दर्शनीय मंदिर है जो राज्य के अधिकार में था, आपने ही सिरोही नरेश श्री केशरसिंहजी को उपदेश दे कर जैनों को दिलवाया है। ५२ रोहीडा में भी ब्राह्मण लोग जैनों को मंदिर नहीं बनवाने देते थे, महाराजश्रीने सिरोही दरबार श्री केशरसिंहजी को उपदेश दे कर आज्ञा पत्र दिलवाया। १३ बम्बइ के निकट (दहाणु परगने में) जो जैन बंधु धर्म विमुख होते जा रहे थे उन्हें उपदेश दे कर पुनः पक्के मूर्तिपूजक बनाये । बहुत बातों का वर्णन उपर भी आया ही है। महाराजजी की सरलता, निखालसता, और संयम राग, अपरिग्रहवृत्ति और For Private and Personal Use Only

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