Book Title: Shadshitinama Chaturtha Karmgranth
Author(s): Rasiklal Shantilal Mehta
Publisher: Agamoddharak Pratishthan

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Page 12
________________ 11 असन्निसु पढमदुगं, पढमतिलेसासु छच्च दुसु सत्त । पढमंतिमदुगअजया, अणहारे मग्गणासु गुणा ॥ २३॥ सच्चेअर मीस असच्चमोस मण वइ विउव्विआहारा॥ उरलं मीसा कम्मण, इय जोगा कम्ममणहारे॥ २४॥ नरगइ पणिंदि तस तणु, अचक्खु नर नपु कसाय सम्मदुगे। सन्नि छलेसाहारग, भव मइसुओहिदुगि सव्वे ॥ २५॥ तिरि इत्थि अजय, सासण, अन्नाण उवसम अभव्व मिच्छेसु। तेराहारदुगूणा, ते उरलदुगूण सुरनिरए॥ २६॥ कम्मुरलदुगं थावरि, ते सविउव्विदुग पंच इगि पवणे। छ असन्नि चरमवइजुय, ते विउव्विदुगूण चउ विगले॥ २७॥ कम्मुरलमीस विणु मण, वइ समइय छेय चक्खु मणनाणे। उरलदुगकम्मपढमंतिममणवइ केवलदुर्गमि ॥ २८॥ मणवइउरला परिहारि, सुहुमि नव ते उ मीसि सविउव्वा। देसे सविउव्विदुगा, सकम्मुरलमिस अहखाए॥ २९॥ तिअनाण नाण पण चउ, दंसण बार जिअलक्खणुवओगा। विणु मणनाण दुकेवल, नव सुरतिरिनिरयअजएसु॥ ३०॥ तस जोअ वेअ सुक्का-हार नर पणिंदि सन्नि भवि सव्वे। नयणेअर पणलेसा, कसाय दस केवलदुगूणा॥ ३१॥ चउरिंदिअसन्निदुअन्नाण दुदंस इगबिति थावरि अचक्खु। तिअनाणदंसणदुगं अनाणतिगि अभव्वि मिच्छदुगे॥ ३२॥ केवलदुगे नियदुर्ग, नव तिअनाण विणु खइयअहक्खाए । दंसणनाणतिगं देसि मीसि अन्नाण मीसं तं ॥ ३३ ॥ मणनाण चक्खुवज्जा, अणहारि तिन्नि दंसणचउनाणा । चउनाणसंजमोवसम-वेयगे ओहिदंसे य ॥ ३४ ॥ दो तेर तेर बारस, मणे कमा अट्ठ दु चउ चउ वयणे । चउ दु पण तिन्नि काये, जिअगुणजोगुवओगन्ने ॥ ३५ ॥

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