Book Title: Shadshitinama Chaturtha Karmgranth
Author(s): Rasiklal Shantilal Mehta
Publisher: Agamoddharak Pratishthan

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Page 10
________________ प (મૂળ ગાથાઓ) नमिय जिणं जियमग्गण-गुणठाणुवओगजोगलेसाओ ॥ बंधप्पबहूभावे, संखिजाइ किमवि वुच्छं ॥१॥ नमिय जिणं वत्तव्वा, चउदस जिअठाणएसु गुणठाणा । जोगुवओगो लेसा, बंधुदओदीरणा सत्ता ॥ १ ॥ तहमूलचउदमग्गण-ठाणेसु बासट्टि उत्तरेसु च । जिअगुणजोगुवओगा लेसप्पबहुं च छट्ठाणा ॥ २ ॥ चउदसगुणेसुजिअ-जोगुवओग लेसा य बंधहेऊ य । बंधाइ चउ अप्पा, बहुं च तो भावसंखाई ॥ ३ ॥ इह सुहुमबायरेगिंदि-बितिचउअसन्निसन्नि पंचिंदी । अपजत्ता पजत्ता, कमेण चउदस जियठाणा ॥२॥ बायरअसन्निविगले, अपज्जि पढमबिअसन्निअपजत्ते । अजयजुअ सन्निपज्जे, सव्वगुणा मिच्छ सेसेसु ॥३॥ अपजत्तछक्कि कम्मुरल-मीसजोगा अपजसंनीसु। ते सविउव्वमीस एसु, तणुपज्जेसु उरलमन्ने॥ ४ ॥ सव्वे सन्निपजत्ते, उरलं सुहुमे सभासु तं चउसु । बायरि सविउव्विदुगं, पजसन्निसु बार उवओगा ॥५॥ पज चउरिंदि असन्निसु, दुदंस दुअनाण दसंसु चक्खु विणा। संनि अपजे मणनाण-चक्खु-केवलदुगविहुणा॥ ६॥ सन्नि दुगि छलेस, अपजबायरे पढम चउ ति सेसेसु। सत्तट्ठ बंधुदीरण, संतुदया अट्ट तेरससु ॥७॥ सत्तट्ठछेगबंधा, संतुदया सत्त अट्ट चत्तारि। सत्तट्ठछपंचदुर्ग, उदीरणा सन्निपजत्ते॥ ८॥ गइ इंदिए य काए, जोए वेए कसायनाणे य । संजम दंसण लेसा, भवसम्मे सन्निआहारे ॥९॥

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