Book Title: Jain Stotra Sangraha Part 01
Author(s): Yashovijay Jain Pathshala
Publisher: Yashovijay Jain Pathshala
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अथास्मच्छब्दरूपाङ्कितनवस्तवी श्रीदेवसुन्दरगुरूत्तमशिष्यमुख्यश्रीज्ञानसागरगुरुक्रमपद्मरेणोः। श्रीसोमसुन्दरगुरोरिति युष्मदस्मदष्टादशस्तवकृतिः कृतिनां मुदेऽस्तु ॥ १॥ एतामष्टादशस्तोत्रीमुद्युक्तो गुरुभक्तितः अशोधयबुद्धबुद्धिः सोमदेवगणिर्गुणी ॥२॥ इति श्रीतपागच्छाधिराजश्रीसोम
सुन्दरसूरिभिः चल्लादिबुद्धिव्युत्पत्युपकारकौतुकितया कृता अष्टादशस्तवाश्चिरंजीयासुः।
* समाप्ता

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