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है तो फिर यह सोचना कि जब धन न होगा तब दिखाई पड़ जाएगा...। पड़ सकता है, संभावना तो है, पर बड़ी दूर की संभावना है। बुद्ध के लिए आसान रहा होगा जाग जाना। जनक के लिए आसान रहा होगा जाग जाना। अर्जुन के लिए भी आसान रहा होगा जाग जाना। कबीर के लिए बड़ा कठिन रहा होगा। दादू के लिए, सहजो के लिए बड़ा कठिन रहा होगा। क्राइस्ट के लिए, मुहम्मद के लिए बड़ा कठिन रहा होगा। क्योंकि इनके पास नहीं था और जागे! ___ जीवन में, जो हमारे पास नहीं है, उसकी कामना हमें घेरती है; उसकी कामना हमें पकड़े रहती है। कल रात मैं एक गीत पढ़ता थाः
मैं चाहता हूं, इसलिए एक जन्म और लेना कि मुझको उसमें शायद मिल जाए ऐसी हमदम कि जिसको आता हो प्यार देना। जो सबह उठ कर मेरी तरफ मस्करा के देखे दिलोजिगर में समा के देखे जो दोपहर को बहुत-से कामों के दरमियां हो उदास मुझ बिन गुजार दे इंतजार में दिन जो शाम को यूं करे स्वागत तमाम चाहत तमाम राहत से राम कर ले जन्म मरण से रिहाई दे कर मुझे रहीने-दवाम कर ले! एक ऐसी हमदम की आरजू है जो मेरे सुख को वफा की ज्योति का संग दे दे मेरे दुख को भी अपने गर्म आंसुओं के मोतियों का रंग दे दे जो घर में इफ्लास का समय हो, न तिलमिलाए सफर कठिन हो तो उसके माथे पे बल न आए एक ऐसी हमदम मिलेगी अगले जन्म में शायद कि जिसको आता हो प्यार देना
मैं चाहता हूं इसलिए एक जन्म और लेना। जो नहीं मिला है—किसी को प्रेयसी नहीं मिली है, किसी को धन नहीं मिला है, किसी को पद नहीं मिला है, किसी को प्रतिष्ठा नहीं मिली है तो हम और एक जन्म लेना चाहते हैं। अनंत जन्म हम ले चुके हैं, लेकिन कुछ न कुछ कमी रह जाती है, कुछ न कुछ खाली रह जाता है, कुछ न कुछ ओछा रह जाता है उसके लिए अगला जन्म, और अगला जन्म।
वासनाओं का कोई अंत नहीं है। जरूरतें बहुत थोड़ी हैं, कामनाओं की कोई सीमा नहीं है। उन्हीं
जागरण महामंत्र हे
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