Book Title: Ashtavakra Mahagita Part 01
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 378
________________ तो बड़ा तनावं होगा। वहां तो चौबीस घंटे चिंता और बेचैनी होगी। धार्मिक विद्रोही का अर्थ है : सहज। विद्रोह करने के लिए विद्रोह नहीं; किसी के खिलाफ विद्रोह नहीं-अपनी सहजता में रहने की आकांक्षा है धार्मिक व्यक्ति का विद्रोह। वह स्वयं में जीना चाहता है। इस स्वयं में जीने में जो चीजें भी बाधा डालती हैं, वह उन्हें स्वीकार नहीं करता। उसकी तोड़ने की कोई आकांक्षा नहीं। वह किसी के विरोध में भी नहीं जाना चाहता। वह इतना ही चाहता है कि उसकी स्वतंत्रता में कोई बाधा न बने। न तो वह किसी की स्वतंत्रता में बाधा बनना चाहता है, न किसी को अपनी स्वतंत्रता में बाधा बनने देना चाहता है। धार्मिक विद्रोही प्रतिक्रियावादी नहीं है। वह किसी के विरोध में नहीं है; वह सिर्फ अपने पक्ष में है। इस बात को तुम खयाल में ले लेना। राजनीतिक विद्रोही को अपना तो कुछ पता ही नहीं है, वह किसी के विरोध में है; जो भी सत्ता में है, उसके विरोध में है; जिसके हाथ में भी ताकत है, उसके विरोध में है। क्योंकि ताकत उसके हाथ में होनी चाहिए, अपने हाथ में होनी चाहिए; दूसरे हाथ में है तो गलत है। राजनीतिक विद्रोही अहंकार का विद्रोह है। धार्मिक विद्रोही अहंकार का विसर्जन है और सहज-स्वभाव में जीने की प्रक्रिया है। इसका यह अर्थ नहीं होता कि धार्मिक व्यक्ति अकारण बाधाएं खड़ी करेगा। नियम है कि बाएं चलो तो वह दाएं चलेगा-ऐसा नहीं है। धार्मिक व्यक्ति तो भूल कर भी यह झंझट न लेगा दाएं चलने की, क्योंकि दाएं चलो कि बाएं चलो, सब बराबर है। इसमें झगड़ा क्या है? वह बाएं ही चलेगा। तुम धार्मिक विद्रोही के जीवन में कोई अकारण झंझट न देखोगे। वह सौ में निन्यानबे मौकों पर समाज के साथ ही होगा। समाज के साथ किसी भय के कारण नहीं होगा; यह समझ कर होगा कि कुछ चीजें तो औपचारिक हैं, इनमें अर्थ ही क्या है? इनमें झगड़ा क्या करना? लेकिन एक मुद्दे पर, . जहां भी आत्मा बेचने का सवाल होगा, वह सब कुछ दांव पर लगा देगा। बाएं-दाएं चलने में उसे कोई अड़चन नहीं है। नियम पालन करने में उसे कोई अड़चन नहीं है। लेकिन जहां नियम आत्मघाती होने लगेगा, वहां वह बगावत करेगा; वहां वह राजी नहीं होगा; वहां वह मर जाना पसंद करेगा, ऐसे जीने के मकाबले जहां आत्मा खो देनी पडती हो। धार्मिक व्यक्ति में बड़ी सहजता होगी। तनाव तो पैदा होता है जब हम किसी से संघर्ष करते हैं। धार्मिक व्यक्ति का किसी से कोई संघर्ष नहीं है। धार्मिक व्यक्ति का तो अपने में रस है। वह अपने रस के उद्रेक में जीना चाहता है और वह नहीं चाहता कि कोई उसे बाधा ; वह नहीं चाहता कि वह किसी को बाधा दे। वह चुपचाप अपने में डूबना चाहता है। बस इस बात में अगर कोई अड़चन डाली जाए तो वह इंकार करेगा, तो वह सूली चढ़ने को राजी रहेगा। ___ लेकिन तुम चकित होओगे यह जान कर कि तुम्हारी अंतरात्मा में बाधा कोई देता नहीं। लोगों को अंतरात्मा का पता ही नहीं, बाधा देने का सवाल ही कहां? लोग तो ऊपर-ऊपर की बातों में चलते हैं। ___ मैं तुम्हें एक घटना कहूं। रामकृष्ण के बचपन की घटना है। रामकृष्ण बचपन से ही भक्त थे, भजन करते-करते बेहोश हो जाते थे। गदाधर उनका नाम था। मां-बाप थोड़े चिंतित हुए, जैसे कि सभी मां-बाप चिंतित हो जाते हैं कि यह लड़का कुछ सामान्य नहीं मालूम होता। कोई कहता कि मिरगी 364 अष्टावक्र: महागीता भाग-1

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