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पर एक जो प्यार है न, उसी के द्वारा,
जीवन-मुक्त मैं किया गया हूं! अगर जन्म और मरण के बीच प्यार घट जाये...।
संन्यास तो मेरे साथ प्रेम में पड़ना है; इससे ज्यादा कुछ भी नहीं। बस इतना ही, इतनी ही परिभाषा। अगर तुम मेरे साथ प्रेम में हो और थोड़ी दूर चलने को राजी हो, तो वह थोड़ी दूर चलना, तुम्हें बहुत दूर ले जाने वाला सिद्ध होगा। ___ और बाकी तो सब ऊपर की बातें हैं, कि तुमने कपड़े बदल लिये, कि माला डाल ली। वह तो केवल तुम्हें साहस जगे और तुम्हें आत्म-स्मरण रहे, इसलिए। वह तो केवल बाहर की शुरुआत है; फिर भीतर बहुत कुछ घटता है। तुम जिनको देख रहे हो गैरिक वस्त्रों में रंगे हुए उनके सिर्फ गैरिक वस्त्र ही मत देखना, थोड़ा उनके हृदय में झांकना-तो तुम वहां पाओगे प्रेम की एक नई धारा का आविर्भाव हो रहा है।
पर एक जो प्यार है न, उसी के द्वारा
जीवन-मुक्त मैं किया गया हूं! मुझे गिरने दो तुम्हारे ऊपर! अभी तुम अगर पाषाण भी हो तो फिक्र मत करोः यह जलधार तम्हारे पाषाण को काट डालेगी।
किरण जब मुझ पर झरी, मैंने कहा'मैं वज्र कठोर हूं, पत्थर सनातन!' किरण बोली- 'भला ऐसा? तुम्हीं को खोजती थी मैं तुम्हीं से मंदिर गढूंगी तुम्हारे अंतःकरण से तेज की प्रतिमा उकेरूंगी।' स्तब्ध मुझको, किरण ने अनुराग से दुलरा लिया। किरण जब मुझ पर झरी मैंने कहा'मैं वज्र कठोर हूं,
पत्थर सनातन!' तुम भी यही मुझसे कहते हो कि नहीं, आप हमें बदल न पायेंगे, कि हम पत्थर हैं, बहुत प्राचीन, कि न बदलने की हमने कसम खा ली है। लेकिन मैं तुमसे कहता हूं:
किरण बोली-'भला ऐसा? तुम्हीं को खोजती थी मैं
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अष्टावक्र: महागीता भाग-1