________________
होते जाने का एक ही उपाय है-खोते जाना है। यहां तुम पूरे शून्य हुए कि वहां परमात्मा पूरी तरह उतरा। तुम ही बाधा हो। इसलिए घबड़ाओ मत! कोरे हो गये, तो सब हो गया। ____ महाराष्ट्र में कथा है कि एकनाथ ने निवृत्तिनाथ को पत्र लिखा-कोरा कागज! कुछ लिखा नहीं। निवृत्तिनाथ ने बड़े गौर से पढ़ा-कोरा कागज! पढ़ने को वहां कुछ था भी नहीं। खूब-खूब पढ़ा! बार-बार पढ़ा! फिर-फिर पढ़ा! पास मुक्ताबाई बैठी थी, फिर उसे दिया, फिर उसने पढ़ा। उसके तो आंसू बहने लगे! वह तो गदगद हो गई! और लोग मौजूद थे, वे कहने लगे, यह बड़ा पागलपन हुआ! हले तो एकनाथ पागल कि कोरा कागज भेजा। चिट्ठी, कुछ लिखा तो हो! फिर वह निवृत्तिनाथ
गल, कि पढ़ रहा है। एक बार ही नहीं, बार-बार पढ़ रहा है। फिर हद मजा कि यह मुक्ताबाई, ये गदगद हो कर आंसू बहने लगे!
सब शास्त्र कोरे कागज हैं! और अगर कोरा कागज पढ़ना आ जाये, तो सब शास्त्र पढ़ने आ गये-वेद, कुरान, गुरुग्रंथ, गीता, उपनिषद, बाइबिल, धम्मपद। जिसने कोरा कागज पढ़ लिया, सब आ गया!
तुम कोरे कागज जैसे हो जाओ, इसी चेष्टा में संलग्न हूं। तुम्हें मिटाने में लगा हूं, क्योंकि तुम ही बाधा हो।
अरी ओ आत्मा री, कन्या भोली क्वारी महाशून्य के साथ भांवरे तेरी रची गईं।
हरि ॐ तत्सत्!
नियंता नहीं-साक्षी बनो
217