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तो इससे ज्यादा कठिन और कोई बात नहीं । सुन कर तो साक्षी कीं बात कितनी सरल लगती है कि कुछ नहीं करना, सिर्फ देखना है; जब करने चलोगे तब पाओगे, अरे, यह तो बड़ी दुस्तर है !
ऐसा करना कि अपनी घड़ी को ले कर बैठ जाना। सेकेंड का कांटा एक मिनिट में चक्कर लगा लेता है। तुम उस सेकेंड के कांटे पर नजर रखना और कोशिश करना, कि मैं साक्षी हूं इस सेकेंड के कांटे का, और साक्षी रहूंगा। तुम पाओगे दो चार सेकेंड चले - गया साक्षी ! कोई दूसरा विचार आ गया ! भूल ही गये ! फिर झटका लगेगा कि अरे, यह कांटा तो आगे सरक गया ! फिर दो-चार सेकेंड साक्षी रहे, फिर भूल गये । एक मिनिट पूरे होने में तुम दो-चार - दस डुबकियां खाओगे। एक मिनिट भी साक्षी नहीं रह सकते हो ! तो अभी साक्षी का तो सवाल ही नहीं है। अभी तो तुम विचार और ध्यान में चुनो; फिर धीरे-धीरे ध्यान और साक्षी में चुनाव करना संभव हो जायेगा ।
संन्यास का पूछते हो तो संन्यास तो सिर्फ मेरे साथ होने की एक भावभंगिमा है। यह बंधन नहीं है। तुम मुझसे बंध नहीं रहे हो। मैं तुम्हें कोई अनुशासन नहीं दे रहा हूं, कोई मर्यादा नहीं दे रहा हूं। मैं तुमसे कह नहीं रहा— कब उठो, क्या खाओ, क्या पीयो; क्या करो, क्या न करो। मैं तुमसे इतना ही कह रहा हूं कि साक्षी रहो। मैं तुमसे इतना ही कह रहा हूं कि मेरा हाथ मौजूद है, मेरे हाथ में हाथ हो; शायद दो कदम मेरे साथ चल लो, तो मेरी बीमारी तुम्हें भी लग जाये । संक्रामक है यह बीमारी । बुद्ध के साथ थोड़ी देर चल लो, तो तुम उनके रंग में थोड़े रंग जाओगे; एकदम बच नहीं सकते। थोड़ी गंध उनकी तुममें से भी आने लगेगी। बगीचे से ही अगर गुजर जाओ, तो तुम्हारे कपड़ों में भी फूलों की गंध आ जाती है— फूल छुए भी नहीं, तो भी !
संन्यास तो मेरे साथ चलने की थोड़ी हिम्मत है, थोड़ी भावभंगिमा है। यह तो मेरे प्रेम में पड़ना है। इस प्रेम की पूरी प्रक्रिया यही है कि तुम्हें मुक्त करने के लिए मैं आयोजन कर रहा हूं। तुम मेरे साथ चलो तो मुक्ति की गंध तुम्हें देना चाहता हूं।
सांस का पुतला हूं मैं से बंधा हूं, और मरण पर एक जो प्यार हैन, उसी के द्वारा,
जीवन-मुक्त मैं किया गया हूं!
काल की दुर्वह गदा को
एक कौतुक - भरा बाल क्षण तौलता है।
हो क्या तुम ?
दिया गया हूं
सांस का पुतला हूं मैं से बंधा हूं,
और मरण को दे दिया गया हूं!
जन्म और मृत्यु, बस यही तो हो तुम। सांस आई और गई; इसके बीच की थोड़ी-सी कथा है, थोड़ा-सा नाटक है। इसमें अगर कुछ भी है, जो तुम्हें पार ले जा सकता है मृत्यु के और जन्म के...
नियंता नहीं-साक्षी बनो
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