Book Title: Acharang Sutram Part 04
Author(s): Jayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
Publisher: Rajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan
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________________ श्री राजेन्द्र सुबोधनी आहोरी - हिन्दी-टीका 2-1-4-2-3 (472) 331 %3 इस प्रकार बोले कि- यह अभी अंकुरित हुई हैं। यह औषधि अधिक उत्पन्न हुई है। यह स्थिर है और यह बीजों से भरी हुई है, यह सरस है। यह अभी गर्भ में ही है या उत्पन्न हो गई है। साधु इस प्रकार की असावद्य-निष्पाप भाषा का व्यवहार करे। IV टीका-अनुवाद : वह साधु या साध्वीजी म. पुष्ट शरीरवाले गाय - बैल आदिको देखकर ऐसा कभी न बोलें कि- यह बैल बहोत बडा (स्थूल) है, या बहोत मेद (चरबी) वाला है, तथा वृत्त याने गोल अल्लमस्त है, या वध योग्य है या भारको वहन करने योग्य है, इसी प्रकार पकाने योग्य है या देवतादिके सामने बली देने योग्य है... इत्यादि यह और ऐसी अन्य सावध भाषा साधु न बोलें... - अब भाषण-बोलनेकी विधि कहतें हैं... वह साधु या साध्वीजी म. पुष्ट काय (शरीर) वाले बैल आदिको देखकर जरुरत होने पर इस प्रकार बोलें... जैसे कि- यह बैल पुष्ट शरीरवाला है इत्यादि सूत्र सुगम है... वह साधु या साध्वीजी म. विभिन्न प्रकारके गाय - बैल आदिको देखकर के ऐसा न कहें कि- यह गाय (बैल) युवा है अथवा यह गाय दोहने योग्य है या इन गायोंको दोहनेका . यह समय (काल) है इत्यादि... तथा यह बैल दमन के योग्य है... वाहनके योग्य है, रथके योग्य है इत्यादि ऐसी सावध भाषा साधु न बोले... 'अब कारण उपस्थित होने पर साधु इस प्रकारसे बोले- जैसे कि- विभिन्न प्रकारके गाय या बैल आदिको देखकर साधु प्रयोजन होने पर कहे कि- यह बैल युवान है, अथवा यह गाय दुधवाली है, छोटी है, बडी है, बहोत खर्चवाली है इत्यादि प्रकारसे निर्दोष भाषा बोले... तथा उद्यान आदिमें गये हुए साधु बडे बडे वृक्षोंको देखकर ऐसा न कहे कि- यह वृक्ष महल आदि बनानेके लिये योग्य है इत्यादि प्रकारकी सावध (दोषवाली) भाषा साधु न बोले... किंतु प्रयोजन होने पर कहे कि- यह वृक्ष उत्तम जातिके है इत्यादि प्रकारसे निर्दोष भाषा साधु बोलें... __ तथा साधु वृक्षके फलोंको देखकर ऐसा न कहे कि- यह फल पक्के है, अथवा बीज - गोटली वाले यह फल गड्डेमें रखकर कोद्रव - पराल (घास) आदिसे पकाकर खाने योग्य हैं... अथवा पके हुए यह फल ग्रहण करने योग्य है क्योंकि- अब अधिक समय तक वृक्ष पर नहि रहेंगे... अथवा यह फल कोमल (कच्चे) है अथवा यह फल पेसी करनेके द्वारा दो फाडे करने योग्य है इत्यादि प्रकारकी दोषवाली-सावध भाषा साधु न बोले... किंतु कारण होने पर ऐसा कहे कि- फलोंके अतिशय भारके कारणसे यह आमके पेड अब आमफलोंको धारण करने