Book Title: Acharang Sutram Part 04
Author(s): Jayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
Publisher: Rajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan
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________________ 448 2-2-6-6-1 (506) श्री राजेन्द्र यतीन्द्र जैनागम हिन्दी प्रकाशन द्रव्य प्रदेश पर्याय विशेषाधिक अनंतगुण अनंतगुण... जीव सभी से थोडे है... उनसे पुद्गल अनंतगुण अधिक है... इत्यादि... 5. तथा प्रधान-पर याने जो प्रधानत्व से पर है... जैसे कि- द्विपद (दो पैरवालों) में तीर्थंकर प्रभु... चतुष्पद में सिंह आदि.. तथा अपद में अर्जुनसुवर्ण याने सफेद सोना तथा पनस आदि फल... 6. इसी प्रकार क्षेत्र-काल एवं भावपर भी जानीयेगा... तत्पर आदि छह प्रकार से क्षेत्रादि की प्रधानता से पूर्ववत् अपने आपकी बुद्धि से स्वयं जानीयेगा... सामान्य से जंबूद्वीप क्षेत्र से पुष्करादि क्षेत्र पर है.. तथा कालपर याने प्रावृट् (वर्षा) काल से शरत्काल पर है... तथा भावपर याने औदयिक भाव से औपशमिकादि भाव पर है... अब सूत्रानुगम में सूत्र का शुद्ध उच्चारण करें और वह सूत्र यह है... I सूत्र // 1 // // 506 // परकिरियं अज्झत्थियं संसेसिअं नो तं सायए नो तं नियमे, सिय से परो पाए आमज्जिज्ज वा पमज्जिज्ज वा नो तं सायए नो तं नियमे / से सिया परो पायाई संबाहिज्ज वा पलिमद्दिज्ज वा नो तं सायए नो तं नियमे। ___ से सिया परो पायाई फुसिज्ज वा रइज्ज वा नो तं सायए नो तं नियमे। से सिया परो पायाई तिल्लेण वा घयेण वा वसाए वा मक्खिज्ज वा अब्भिंगिज्ज वा नो तं / से सिया परो पायाई लुद्धेण वा कक्केण वा चुण्णेण वा वण्णेण वा उल्लोढिज्ज वा उव्वलिज्ज वा नो तं / से सिया परो पायाई सीओदगवियडेण वा उच्छोलिज्ज वा पहोलिज्ज वा नो तं०। से सिया परो पायाई अण्णयरेण विलेवणजाएण आलिंपिज्ज वा विलिंपिज्ज वा नो तं० / से सिया परो पायाइं अण्णयरेण धूवणजाएण धूविज्ज वा पधूविज्ज वा नो तं० / से सिया परो पायाओ आणुयं वा कंटयं वा नीहरिज्ज वा विसोहिज्ज वा नो तं० / से सिया परो पायाओ पूयं वा सोणियं वा नीहरिज्ज वा विसोहिज्ज वा नो तं० / से सिया परो कायं आमज्जेज्ज वा पमज्जेज्ज वा नो तं सायए नो तं नियमे। से सिया परो कायं लोट्टेण वा संवाहिज्ज वा पलिमदिज्ज वा नो तं० /