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अनुवाद के साथ प्रकाशित किया जाय तो जैन और जैनेतर जनता के लिये अति मननीय सुन्दर विचार सामग्री उपलब्ध हो जायगी, जो उन्हे जैन सिद्धान्त और धर्म के हार्द तक पहुँचने मे निःसन्देह सहायक सिद्ध होगी। ___ श्री धीरज भाई ने इस सुझाव को अपने पुरुषार्थी स्वभाव से अल्प समय मे ही कार्यरूप मे परिणत किया और जनता के सामने 'श्री वीर-वचनामृत' नामक गजराती सस्करण भव्य समारोह पूर्वक रख दिया। जनता ने इसका सुन्दर सत्कार किया।
इस सत्कार से उत्साहित होकर श्री धीरजभाई ने अल्पावधि में ही उसका हिन्दी अनुवाद तैयार करवाकर मुद्रित भी करा लिया
और अभी वगाल देश को महानगरी कलकत्ता में इसका प्रकाशन हो रहा है। क्या श्री धीरजभाई का यह पुरुषार्थ सराहनीय एव धन्यवाद के योग्य नही है ?। ___ यदि पाठक वर्ग प्रस्तुत ग्रन्थ का वाचन, मनन और निदिध्यासन करेंगे तो उनकी आत्मा परमात्मावस्था के पुनीत पथ पर सफलता पूर्वक प्रयाण करेगी, इसमें तनीक भी शंका नही है। बम्बई, २० जून १९६३
विजयधर्म सूरि [ २ ] श्रमण भगवान् महावीर देश-विशेष तथा काल-विशेष की विभूति नही है। उनका दिव्य ज्योतिर्मय व्यक्तित्व देश और काल की क्षुद्र सीमाओं को तोडकर सदा सर्वत्र प्रकाशमान रहनेवाला अजर-अमर व्यक्तित्व है । अनन्त सत्य का साक्षात्कार करने के लिए उन्होंने