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योग (२) योग आत्मा को मोक्ष के साथ नियोजित करता है इसलिए वस्तुतः सम्यक् ज्ञान, सम्यक् दर्शन और सम्यक् चारित्र-इन तीनों के एक साथ अवस्थान का नाम है योग।
१. सम्यक् ज्ञान-वस्तु का यथार्थ बोध।
२. सम्यक् दर्शन-सम्यक् ज्ञान द्वारा ज्ञात यथार्थ वस्तु में रुचि या आकर्षण।
३. सम्यक् चारित्र-समता की साधना के लिए शास्त्रोक्त विधि-निषेध का अनुसरण।
निच्छयओ इह जोगो सण्णाणाईण तिण्ह संबंधो। मोक्खेण जोयणाओ णिदिहो जोगिनाहेहिं।। सचाणं वत्थुगओ बोहो सईसणं तु तत्थ रुई। सचरणमणुट्ठाणं विहि-पडिसेहाणुगं तत्थ ।।
योगशतक २.३
२ जनवरी २००६