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तृतीय अध्याय ॥ • १३९ है, बालक की नींद में भंग न हो जाये इस लिये झूले या पालने के आंकड़े (कड़े)
नहीं बोलने देना चाहिये, बालक के सोते समय जोर से झोंका नहीं देना चाहिये, • सोने के झूले वा विछौने के पास यदि शीत भी हो तो भी आग की सिगड़ी वा दीपक
समीप में नहीं रखना चाहिये, जब बालक सो कर उठ बैठे तव शीघही विछौने को लपेट कर नहीं रख देना चाहिये किन्तु जब उस में कुछ हवा लग जावे तथा उस के भीतर की गन्दगी (दुर्गन्धि) उड़ जावे तब उस को उठा कर रखना चाहिये, सोते समय बालक को चांचड़, खटमल और जुएँ आदि न काटें, इस का प्रबंध रखना चाहिये, उस के सोने का विछौना धोया हुआ तथा साफ रखना चाहिये किन्तु उस को मलीन नहीं होने देना चाहिये, यदि विछौना वा झोला मलमूत्र से भीगा होवे तो शीघ्र उस को वदल कर उस के स्थान में दूसरे किसी खच्छ वस्त्र को विछा कर उस पर बालक को सुलाना चाहिये कि जिस से उसे सदी न साप जावे ।। १२-कसरत-पालक को खुली हया में कुछ शारीरिक कसरत मिल सके ऐसा प्रयत्न करना चाहिये क्योंकि शारीरिक कसरत से उस के शरीर का भीतरी रुधिर नियमानुसार सब नसों में घूम जाता है, खाये हुए अन्न का रस होकर तमाम शरीर को पोषण (पुष्टि) मिलता है, पाचनशक्ति बढ़ती है, सायु का सञ्चलन होने से लोहू भीतरी मलीन पदार्थों को पसीने के द्वारा वाहर निकाल देता है जिस से शरीरका वन्धान दृढ और नीरोग होता है, नींद अच्छी आती है तथा हिम्मत, चेतनता, चञ्चलता
और शूरवीरता बढ़ती है, क्योंकि वालक की खाभाविक चंचलता ही इस बात को बतलाती है कि-बालक की अरोगता रहने और बड़ा होने के लिये प्रकृति से ही उस को शारीरिक कसरत की आवश्यकता है, उत्पन्न होने के पीछे जब बालक कुछ मासों का हो जावे तव उस को सुवह शाम कपड़े पहना के अच्छी हवा में ले जाना चाहिये, कभी २ जमीन पर रजाई विछा के उसे सुलाना चाहिये क्योंकि ऐसा करने से वह इधर उघर पछाड़ें मारेगा और उस को शारीरिक कसरत प्राप्त होगी, इसी प्रकार कमी २ हँसाना, खिलाना, कुदाना और कोई वस्तु फेंक कर उसे मंगवाना आदि व्यवहार भी वालक के साथ करना चाहिये, क्योंकि इस व्यवहार में अति हँस कर वह हाथ पैर पछाड़ने, दौड़ने और इधर उधर फिरने के लिये चेष्टा करेगा और उस से उसे सहजमें ही शारीरिक कसरत मिल सकेगी।
जब चालक कुछ चलना फिरना सीख जावे तव उसे घर में तथा घर के बाहर समीप में ही खेलने देना चाहिये किन्तु उसे घर में न विठला रखना चाहिये, परन्तु जिस खेल से शरीर के किसी भाग को हानि पहुँचे तथा जिस खेलसे नीति में विगाड़ हो ऐसा खेल