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जैनसम्प्रदायशिक्षा ॥
टीका लगवाने के समय इस बात का पूरा ख्याल रखना चाहिये कि- टीका लगाने के लिये जिस बालक का चेप लिया जावे वह बालक गुमड़े तथा ज्वर आदि रोगवाला नहीं होना चाहिये, किन्तु वह बालक नीरोग और दृढ़ बन्धान युक्त होना चाहिये, क्योंकि नीरोग बालक चेप लेने से उस बालक को फायदा पहुँचता है और रोगी बालक का चेपलेने से बालक को शीघ्रही उसी प्रकार का रोग होजाता है ।
जब बालक का शरीर बिलकुल तनदुरुस्त हो तब उस के टीका लगवाना चाहिये, टीका लगवाने के बाद नौ दस दिन में दाने भरजाते हैं और सूजन आ जाती है और पीड़ा भी होने लगती है, उस के बाद एक दो दिन में आराम होना शुरू हो जाता है, इससमय में उस के आराम होने के लिये बालक को औषध देने का कुछ काम नहीं है; हां यदि टीका लगाने का स्थान खिँचता हो और खिंचने से अधिक दुःख मालूम होता हो तो उस पर केवल घी लगा देना चाहिये, क्योंकि घी के लगाने से चेप निकल कर गिर जाते हैं, दाने फूटने के बाद बारीक राख से उसे पोंछना मी ठीके है, परन्तु दानों को नोच कर नहीं उखाड़ना चाहिये क्योंकि नोच कर उखाड़ देने से लाभ नहीं होता है और फिर पक जाने का भी भय रहता है, यदि बालक दानों को नोचने लगे तो उस के हाथ पर कपड़ा लपेट देना चाहिये अर्थात् उस चेप ( पपड़ी ) को नोच कर नहीं उखाड़ना चाहिये किन्तु उसे अपने आप ही गिरने देना चाहिये ||
१९ - बालगुटिका -- बालक को बालँगुटिका देनी की रीति बहुत हानिकारक है, चाहें प्रत्यक्ष में इस से कुछ लाभ भी मालूम पड़े परन्तु परिणाम में तो हानि ही पहुँचती है, यह हमेशा देने से तो एक प्रकार से खुराक के समान हो जाती है तथा व्यसनी के व्यसन के समान यह भी एक प्रकार से व्यसनवत् ही हो जाती है, क्योंकि जब तक उस का नशा रहता है तब तक तो बालक को निद्रा आती है और वह ठीक रहता है परन्तु नशा उतरने के बाद फिर ज्यों का त्यों रहता है, नशा करने से स्वाभाविक नींद के समान अच्छी नींद भी नहीं आती है, इस के की ठीक जांच करली गई है कि- बालगुटिका में नाना प्रकार की किन्तु उन में भी अफीम तो मुख्य होती है, उस गुटिका को पानी वा मिला के बलात्कार बालक के हाथ पैर पकड़ के उसे पिला देते है, यद्यपि उस गुटिका
सिवाय इस बात वस्तुयें पड़ती हैं
माता के दूधमें
१-क्योंकि राख से पोंछने से दाने जल्दी खुश्क हो जाते है ॥
२- कपड़ा बांध देने से बालक दानों को नोच नहीं सकेगा ||
३- यह बालगुटिका बोको खिलाने के लिये एक प्रकार की गोली है जिस में अफीम आदि कई प्रकार के हानिकारक पदार्थ डालकर वह बनाई जाती है-मूर्ख लिया बालकों को सुलाने के लिये इस गोली को बालको को खिला देती हैं कि बालक सो जाय और वे सुख से अपना सब कार्य करती रहें ॥