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जैनसम्प्रदायशिक्षा ॥ तथा दीपक आदि के जलाने के समय अपने २ परिमाण के अनुकूल ये दोनों हवायें मिली हुई काम देती हैं, जैसे मनुष्य के हाथ में एक अंगूठा और चार अंगुलियां है इसी प्रकार से यह समझना चाहिये कि-हवा में एक भाग प्राण वायु का है और चार भाग शुद्ध वायु (नाइट्रोजन) है तथा हवा इन दोनों से मिली हुई है, हवा के दूसरे दो भाग भी इन्हीं में मिले हुए है और वे दोनों भाग यद्यपि बहुत ही थोड़े है तथापि दोनों अत्यन्त उपयोगी हैं, कोयला क्या चीज है यह तो सब ही जानते है कि-जंगल जल कर पृथ्वी में प्रविष्ट (फैंस ) हो जाता है बस उसी के काले पत्थर के समान पृथ्वी में से को पदार्थ निकलते हैं उन्हीं को कोयला कहते हैं और वे रेल के एजिन आदि कलों में जलाये जाते है, चांवलों में से भी एक प्रकार के कोयले हो सकते है और ये (चांवलों के कोयले ) कार्वन कहलाते हैं, प्राणवायु और कोयलों के मिलने से एक प्रकार की हवा बनती है-उस को अंग्रेजी में कार्बोनिक एसिड ग्यस कहते हैं, यही हवा में तीसरी वस्तु है तथा यह बहुत भारी (वजनदार) होती है और यह कभी २ गहरे तथा खाली कुए के तले इकट्ठी होकर रहा करती है, खत्ते में और बहुत दिनों के बन्द मकान में भी रहा करती है, इस हवा में जलती हुई वत्ती रखने से वुझजाती है तथा जो मनुष्य उस हवा में श्वास लेता है वह एकदम मर जाता है, परन्तु यह हवा भी वनस्पतिका पोषण करती है अर्थात् इस हवा के विना वनस्पति न तो उग सकती है और न कायम रह सकती है, दिन को उस का भाग वृक्ष की जड़ और वनस्पति चूस लेती है, यह भी जान लेना आवश्यक है कि इस हवा के ढाई हजार भागों में केवल एक भाग इस जहरीली हवा का रहता है, इसी लिये ( इतना थोड़ा सा भाग होने हीसे ) वह हवा प्राणी को कुछ बाधा नहीं पहुंचा सकती है, परन्तु हवा में पूर्व कहे हुए परिमाण की अपेक्षा यदि उस (जहरीली ) हवा का थोड़ा सा भी भाग अधिक होजावे तो मनुष्य वीमार हो जाते है।
पहिले कह चुके हैं कि हवा में चौथा भाग पानी के परमाणुओं का है, इस का प्रत्यक्ष प्रमाण यह है कि यदि थाली में थोड़ा सा पानी रख दिया जाये तो वह धीरे २ उड़ जाता है, इस विषयमें अर्वाचीन विद्वानों तथा डाक्टरों का यह कथन है कि-सूर्य की गर्मी सदा पानी को परमाणुरूपसे खींचा करती है, परन्तु सर्वज्ञ के कहे हुए सूत्रों में यह लिखा है कि-जल वायुके योगसे सूक्ष्म होकर परमाणुरूप से आकाश में मिल जाता है तथा वह पीछे सदैव ओस हो हो कर झरता है, यद्यपि ओस आठों ही पहर झरा करती है परन्तु दो घड़ी पिछला दिन बाकी रहने से लेकर दो घड़ी दिन चढनेतक अधिक मालम देती
१-बहुत दिनों के बंद मकान में घुसने से बहुत से मनुष्य आदि प्राणी मर चुके हैं, इस का कारण केवल जहरीली हवा ही है, परन्तु बहुत से भोले लोग पदार्य विद्या के न जानने से बद मकान में भूत प्रेत आदि का निवास तथा उसी के द्वारा बाधा पहुँचना मान लेते हैं, यह केवल उनकी अज्ञानता है ।