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जैनसम्प्रदायशिक्षा। मगज़ तर रहता है, मस्तक पर गर्म किया हुआ पानी नहीं डालना चाहिये, वालों को सदा मैल काटने वाली चीजों से धोना चाहिये, पुत्र के बाल प्रतिदिन और पुत्री के बाल सात आठ दिन में एक बार धोकर साफ करना चाहिये, यदि मस्तक में जुयें और लीखें हो जावें तो उन को निकाल के वासित तेल में थोड़ा सा कपूर मिला कर मस्तक परमालिश करनी चाहिये क्योंकि ऐसा करने से जुयें कम पड़ती हैं तथा कपूरन मिला कर केवल वासित तेल का मर्दन करने से मगज़ तर रहता है, मस्तक पर नारियल के तेल का मर्दन करना भी अच्छा होता है क्योंकि उस के लगाने से बाल साफ होकर बढ़ते
और काले रहते हैं, बालों के ओछने में इस बात का खयाल रखना चाहिये किओछते समय उस के बाल न तो खिंचे और न टूटें, क्योंकि बालों के खिंचने और टूटने से मगज़ में व्याधि हो जाती है तथा बाल भी गिर जाते हैं, इस लिये बारीक दाँत वाली कंघी से धीरे २ बालों को ओछना चाहिये, मस्तक में तेल सिर्फ इतना डालना चाहिये कि बालक के कपड़े न विगड़ने पावें, बालक के मस्तक पर मनमाना साबुन तथा अर्क खींचा हुआ तेल नहीं लगाना चाहिये, क्योंकि-ऐसा करने से बाल सफेद
हो जाते हैं तथा मगज़ में व्याधि भी हो जाती है । १६-लग्न या विवाह-बालकपन में लग्न अर्थात् विवाह कर देने से बालक शीमही
खपी के सम्बन्ध होने की चिन्ता से यथोचित विद्याभ्यास नहीं कर सकता है, इस से बड़े होने पर संसारयात्रा के निर्वाह में मुसीवत पड़कर उस को संसार में अपना जीवन दुःख के साथ बिताना पड़ता है, केवल यही नहीं किन्तु कच्ची अवस्था में अपक (न पका हुआ अर्थात् कन्ना) वीर्य निकलजाने से शरीर का बन्धान टूट जाता है, शरीर दुर्बल, पतला, पीला, अशक्त और रोगी हो जाता है, आयु का क्षय होजाता है तथा उसकी जो प्रजा (सन्तति) होती है वह भी वैसी ही होती है, वह किसी कार्य को भी हिम्मत के साथ नहीं कर सकता है, इत्यादि अनेक हानियां बालविवाह से होती हैं, इसलिये पुत्र की अवस्था बीस वर्ष की होने के पीछे और पुत्री की अवस्था तेरह वा चौदह वर्ष की होने के पीछे विवाह करना ठीक है, क्योंकि जीवन में वीर्य का संरक्षण सब से श्रेष्ठ कार्य और परम फलदायक है, जिस के शरीर में वीर्य का विशेष संरक्षण होता है वह दृढ़, स्थूल, पुष्ट, शूर वीर, पराक्रमी और नीरोग होता है तथा उस की प्रजा (सन्तति) भी सब प्रकार से उत्कृष्ट होती है, इस लिये पुत्र और पुत्री का उक्त अवस्था में ही विवाह करना परम श्रेष्ठ है ॥ १-मस्तक पर गर्म पानी के डालने से जो हानि है वह नम्बर दो (मान विषय) में पूर्व लिख आये हैं॥ . २-उस के अर्थात् बालक के ॥
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