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चतुर्थ अध्याय ॥
२८७ का जल पीना चाहिये, दिन में तहखाने में वा पटे हुए मकान में और रात को ओस में सोना उत्तम है।
ऑवला, सेव और ईख का मुरब्बा भी इन दिनों में लाभकारी है, मैदा का शीरा जिस में मिश्री और घी अच्छे प्रकार से डाला गया हो प्रातःकाल में खाने से बहुत लाभ पहुँचाता है और दिन भर प्यास नहीं सताती है ।
ग्रीष्म ऋतु आम की तो फसल ही है सब का दिल चाहता है कि आम खावें परन्तु अकेला आम या उस का रस बहुत गर्मी करता है इस लिये आम के रस में घी दूध और काली मिर्च डाल कर सेवन करना चाहिये ऐसा करने से वह गर्मी नहीं करता है तथा शरीर को अपने रंग जैसा बना देता है।
ग्रीष्म ऋतु में क्या गरीब और क्या अमीर सब ही लोग शर्वत को पीना चाहते है और पीते भी है तथा शर्वत का पीना इस ऋतु में लाभकारी भी बहुत है परन्तु वह (शर्वत) शुद्ध और अच्छा होना चाहिये, अत्तार लोग जो केवल मिश्री की चासनी वना कर शीशियों में भर कर बाज़ार में बेचते है वह शर्वत ठीक नहीं होता है अर्थात् उस के पीने से कोई लाभ नहीं हो सकता है इस लिये असली चिकित्सा प्रणाली से वना हुआ गर्वत व्यवहार में लाना चाहिये किन्तु जिन को प्रमेह आदि या गर्मी की वीमारी कमी हुई हो उन लोंगों को चन्दन गुलाब केवड़े वा खस का शर्वत इन दिनों में अवश्य पीना चाहिये, चन्दन का गर्वत बहुत ठंढा होता है और पीने से तवीयत को खुश करता है, दस्त को साफ ला कर दिल को ताकत पहुँचाता है, कफ प्यास पित्त और लोहू के विकारों को दूर करता है तथा दाह को मिटाता है, दो तोले चन्दन का शर्वत दश तोले पानी के साथ पीना चाहिये तथा गुलाव वा केवड़े का शर्वत भी इसी रीति से पीना अच्छा है इस के पीने से गर्मी शान्त होकर कलेजा तर रहता है, यदि दो तोले नींबू का शर्वत दश तोले जल में डाल कर पिया जावे तो भी गर्मी शान्त हो जाती है और भूख भी दुगुनी लगती है, चालीस तोले मिश्री की चासनी में वीस नीवुओं के रस को डाल कर बनाने से नींबू का शर्यत अच्छा बन सकता है, चार तोले भर अनार का शर्वत बीस तोले पानी में डालकर पीने से वह नज़ले को मिटा कर दिमाग को ताकत पहुंचाता है, इसी रीति से सन्तरा तथा नेचू का शर्वत भी पीने से इन दिनों में बहुत फायदा करता है। _ जिस स्थान में असली शर्वत न मिल सके और गर्मी का अधिक जोर दिखाई देता हो तो यह उपाय करना चाहिये कि-पच्चीस वादामों की गिरी निकाल कर उन्हें एक घण्टेतक पानी में भीगने दे, पीछे उन का लाल छिलका दूर कर तथा उन्हें घोट कर १-परन्तु मन्दाग्निवाले पुरुषो को इसे नहीं खाना चाहिये ।