Book Title: Jain Sampradaya Shiksha
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 296
________________ पश्चम अध्याय ॥ ७१३ ८-यदि चैत्र सुदि अष्टमी के दिन प्रातःकाल चन्द्र खर न चलता हो तो जानना चाहिये कि इस वर्ष में कष्ट तथा पीड़ा अधिक होगी अर्थात् भाग्ययोग से ही सुख की प्राप्ति हो सकती है, इत्यादि। ९-इन के सिवाय-यदि उक्त दिनों में प्रातःकाल चन्द्र खर में पृथिवी तत्त्व और जल तत्त्व आदि शुम तत्त्व चलते हों तो और भी श्रेष्ठ फल जानना चाहिये ॥ - पाँच तत्वों में प्रश्न का विचार ॥ १-यदि चन्द्र खर में पृथिवी तत्त्व वा जल तत्त्व चलता हो और उस समय कोई किसी कार्य के लिये प्रश्न करे तो कह देना चाहिये कि-अवश्य कार्य सिद्ध होगा। २-यदि चन्द्र खर में अमि तत्त्व वा वायु तत्व चलता हो अथवा आकाश तत्त्व हो और उस समय कोई किसी कार्य के लिये प्रश्न करे तो कह देना चाहिये कि कार्य किसी प्रकार भी सिद्ध नहीं होगा। ३-सरण रखना चाहिये कि-चन्द्र खर में जल तत्त्व और पृथिवी तत्व स्थिर कार्य के लिये अच्छे होते है परन्तु चर कार्य के लिये अच्छे नहीं होते है और वायु तत्त्व; अमि तत्त्व और आकाश तत्त्व; ये तीनों चर कार्य के लिये अच्छे होते हैं, परन्तु ये भी सूर्य खर में अच्छे होते हैं किन्तु चन्द्र खर में नहीं। -यदि कोई पुरुष रोगिविषयक प्रश्न को आकर पूछे तथा उस समय चन्द्र खर में पृथिवी तत्त्व वा जल तत्त्व चलता हो और प्रश्न करने वाला भी उसी चन्द्र खर की तरफ ही (बाई तरफ ही ) बैठा हो तो कह देना चाहिये कि रोगी नहीं मरेगा। ५-यदि चन्द्र स्खर बन्द हो अर्थात् सूर्य खर चलता हो और प्रश्न करने वाला बाई , तरफ बैठा हो तो कह देना चाहिये कि-रोगी किसी प्रकार भी नहीं जी सकता है। ६-यदि कोई पुरुष खाली दिशा में आ कर प्रभ करे तो कह देना चाहिये कि-रोगी नहीं बचेगा, परन्तु यदि खाली दिशा से आ कर भरी दिशा में बैठ कर (जिघर का खर चलता हो उपर बैठ कर ) प्रश्न करे तो कह देना चाहिये क्रि-रोगी अच्छा हो जावेगा। ७-यदि प्रश्न करते समय चन्द्र खर में जल तत्त्व वा पृथिवी तत्त्व चलता हो तो जान लेना चाहिये कि-रोगी के शरीर में एक ही रोग है तथा यदि प्रश्न करने के समय चन्द्र खर में अमि तत्त्व आदि कोई तत्त्व चलता हो तो जान लेना चाहिये कि रोगीके शरीर में कई रोग मिश्रित ( मिले हुए ) हैं। १-घर और स्थिर कार्यों का वर्णन संक्षेप से पहिले कर चुके हैं। २-रोगी के विषय में। ३-जिघर का खर चलता हो उस दिशा को छोड कर सर्व दिशाये खाली मानी गई है।

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