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जैनसम्प्रदायशिक्षा ॥
प्रति मनुष्य हवा की आवश्यकता ॥
प्रत्येक मनुष्य २४ घण्टे में सामान्यतया ४०० घन फीट हवा श्वासोच्छ्रास में लेता है तथा शरीर के भीतर का हिसाब यह है कि सात फीट लम्बी, सात फीट चौड़ी और सात फीट ऊंची एक कोठरी में जितनी हवा समा सके उतनी हवा एक आदमी हमेशा फेफड़े में लेता है, श्वासोच्छ्रास के द्वारा ग्रहण की जाती हुई हवा में कार्बोनिक एसिड ग्यॅस के ( हानिकारक पदार्थ के ) हज़ार भाग साफ हवा में चार से दश तक भाग रहते हैं, परन्तु जो हवा शरीर से बाहर निकलती है उस के हजार भागों में कार्बोनिक एसिड ग्यॅस के ४० भाग है अर्थात् ढाई हज़ार भागों में सौगुणा भाग है, इस से सिद्ध हुआ कि- अपने चारों तरफ की हवा अपने ही श्वास से बिगड़ती है, अब देखो । एक तरफ तो जहरीली हवा को बनस्पति चूस लेती है और दूसरी तरफ वातावरण की ताज़ी हवा उस हवा को खींच कर ले जाती है, परन्तु मकान में हवा के आने जाने का यदि मार्ग न हो तो खभाव से ही अनुकूल भी समवाय प्रतिकूल (उलटे ) हो जाते हैं, इस लिये प्रत्येक आदमी को ७ से १० फीट चौरस स्थान की अथवा खन की आवश्यकता है, यदि उतने ही स्थान में एक से अधिक आदमी बैठें या सोर्वे तो उस स्थान की हवा अवश्य विगड़ जावेगी ।
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अब यह भी जान लेना आवश्यक ( ज़रूरी ) है कि - हवा के गमनागमन पर स्थान के विस्तार का कितना आधार है, देखो । यदि हवा का अच्छे प्रकार से गमनागमन ( आना जाना ) हो तो संकीर्ण ( सँकड़े ) स्थान में भी अधिक मनुष्य भी सुख से रह सकते हैं, परन्तु यदि हवा के आने जाने का पूरा खुलासा मार्ग न हो तो बड़े मकान तथा खासे खण्ड में भी रहनेवाले मनुष्यों को आवश्यकता के अनुसार सुखकारक हवा नहीं मिल सकती है।
ताज़ी हवा के आवागमन का विशेष आधार घर की रचना और आस पास की हवाके ऊपर निर्भर है, घर में खिड़की और दर्बाजे आदि काफी तौर पर भी रक्खे हुए हों परन्तु यदि अपने घर के आस पास चारों तरफ दूसरे घर आगये हों तो घर में ताज़ी हवा और प्रकाश की रुकावट ( अटकाव ) होती है, इस लिये घर के आस पास से यदि हवा मिलने की पूरी अनुकूलता न हो तो घर के छप्परों में से ताज़ी हवा आ जा सके ऐसी युक्ति करनी चाहिये ।
अपना मुख खच्छ होने पर भी दूसरों को उस ( अपने मुख ) से कुछ खराब बास निकलती हुई मालूम पड़ती है, वह श्वासोच्छास के द्वारा भीतर से बाहर को आती हुई खराब हवा की बास होती है, इसी खराब हवा से घर की हवा विगड़ती है तथा बहुत से मनुष्यों के इकट्ठे होने से जो घबड़ाहट होती है वह भी इसी हवा के कारण से हुआ