________________
'चतुर्थ अध्याय ॥
४११
प्रायः इतने रोगों की शंका होती है-हृदय का दर्द, फेफसे का रोग, मगज़ का रोग, सन्निपातज्वर, सुवा रोग और शरीर का अत्यन्त सड़ना, इस नाड़ी से उक्त रोगों के सिवाय अन्य भी कई प्रकार के अत्यन्त भयंकर स्थितिवाले रोगों की सम्भावना रहती है ।
७- अन्तरिया नाड़ी — जिस नाड़ी के दो तीन उनके होकर बीच में एकाध ठनके जितनी नागा पड़े अर्थात् ठवका ही न लगे, फिर एकदम दो तीन ठबके होकर पूर्ववत् ( पहिले की तरह) नाड़ी बंद पड़ जावे और फिर वारंवार यही व्यवस्था होती रहे वह अन्तरिया नाड़ी कहलाती है, जब हृदय की बीमारी में खून ठीक रीति से नहीं फिरता है तब बड़ी घोरी नस चौड़ी हो जाती है और मगन का कोई भाग बिगड़ जाता है तब ऐसी नाड़ी चलती है ॥
डाक्टर लोग प्रायः नाड़ी की परीक्षा में तीन बातों को ध्यान में रखते हैं वे ये हैं१- नाड़ी की चाल जल्दी है या धीमी है । २- नाड़ी का कद बड़ा है या छोटा है । ३ - नाड़ी सख्त है या नरम है ।
खूनवाले जोरावर आदमी के बुखार में, मगज के शोध में कलेने के रोग में और गँठियावायु आदि रोगों में जल्दी, बहुत बड़ी और सख्त नाड़ी देखने में आती है, ऐसी नाड़ी यदि बहुत देर तक चलती रहे तो जान को जोखम आ जाती है, जब बुखार के रोग में ऐसी नाड़ी बहुत दिनोंतक चलती है तब रोगी के बचने की आशा थोड़ी रहती है, हां यदि नाड़ी की चाल घीरे २ कम पड़ती जावे तो रोगी के सुधरने की आशा, रहती है, प्रायः यह देखा गया है कि-फश्त खोलने से, जोंक लगाने से, अथवा अपने आप ही खून का रास्ता होकर जब बढ़ा हुआ खून निकल जाता है तो नाड़ी सुघर जाती है, निर्बल आदमी को जब बुखार आता है अथवा शरीरपर किसी जगह सूजन आ जाती है तब उतावली छोटी और नरम नाड़ी चलती है, जब खून कम होता है, आंतों में शोथ होता है तथा पेट के पड़दे पर शोथ होता है तब जल्दी छोटी और सख्त नाड़ी 'चलती है, यह नाड़ी यद्यपि छोटी तथा महीन होती है परन्तु बहुत ही सख्त होती है, यहांतक कि अंगुलि को तार के समान महीन और करड़ी लगती है, ऐसी नाड़ी भी खून का जोर बतलाती है ॥
नाडी के विषय में लोगों का विचार - केवल नाड़ी के देखने से सब रोगों की सम्पूर्ण परीक्षा हो सकती है ऐसा जो लोगों के मनों में हद्द से ज्यादा विश्वास जम गया है उस से वे लोग प्रायः उगाये जाते हैं, क्योंकि नाड़ी के विषय में झूठा फांका मारनेवाले धूर्त वैद्य और हकीम अज्ञानी लोगों को अपने बचनजाल में फॅसाकर उन्हें मन माना उगते है, इन धूचोंने यहांतक लीला फैलाई है कि जिस से नाड़ीपरीक्षा के विषय
"
·