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संख्या नाम नक्षत्र अक्षर
१३ हस्त पु, ष, ण, ठ, १४ चित्रा पे, पो, रा, री, १५ खाती रू, रे, रो, ता, १६ विशाखा ती, तू, ते, तो, १७ अनुराधा ना, नि, नू, ने, १८ ज्येष्ठा नो या, यी, यू, १९ मूल ये, यो, भ, भी, २० पूर्वाषाढ़ा भू, ध, फ, ढ,
पञ्चम अध्याय ||
संख्या नाम नक्षत्र अक्षर
२१ उत्तराषाढ़ा भे, भो, ज, जी, २२ अभिजित् जू,जे,जो, खा, २३ श्रवण खी, खु, खे, खो, २४ घनिष्ठा ग, गी, गू, गे, २५ शतभिषा गो, सा, सी, २६ पूर्वाभाद्रपद से, सो, द, दी, २७ उत्तराभाद्रपद दु, ञ, झ, थ, २८ रेवती दे, दो, च, ची,
सू,
चन्द्रराशि का वर्णन ॥
राशि । नक्षत्र तथा उस के पादे ।
मेप अश्विनी, भरणी, कृत्तिका का प्रथम | तुल
पाद ।
वृष कृत्तिका के तीन पाद, रोहिणी, मृगशिर के दो पाद ।
मिथुन मृगशिर के दो पाद, आर्द्रा, पुनर्वसु के तीन पाद 1
राशि । नक्षत्र तथा उस के पाद ।
चित्रा के दो पाद, खाति, विशाखा के तीन पाद ।
वृश्चिक विशाखा का एक पाद, अनुराधा, ज्येष्ठा । धन मूल, पूर्वाषाढा, उत्तराषाढा का प्रथम पाद ।
मकर उत्तराषाढ़ा के तीन पाद, श्रवण, धनिष्ठा के दो पाद ।
धनिष्ठा के दो पाद, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद के तीन पाद |
कर्क पुनर्वसु का एक पाद, पुष्य, आश्लेषा । सिंह मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी का कुम्भ
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प्रथम पाद ।
कन्या उत्तराफाल्गुनी के तीन पाद, हस्त, मीन चित्रा के दो पाद ।
पूर्वाभाद्रपद का एक पाद, उत्तराभाद्रपद, रेवती ॥
तिथियों के भेदों का वर्णन ॥
पहिले जिन तिथियों का वर्णन कर चुके है उन के कुल पाँच भेद है-नन्दा, भद्रा, जया, रिक्ता और पूर्णा, अब कौन २ सी तिथियाँ किस २ भेदवाली है यह बात नीचे लिखे कोष्ठ से विदित हो सकती है:
१ - उत्तराषाढा के चौथे भाग से लेकर श्रवण की पहिली चार घडी पर्यन्त अभिजित नक्षत्र गिना जाता है, इतने समय में जिस का जन्म हुआ हो उस का अभिजित् नक्षत्र मे जन्म हुआ समझना चाहिये ॥
२-स्मरण रहे कि -एक नक्षत्र के चार चरण ( पाद वा पाये) होते हैं तथा चन्द्रमा दो नक्षत्र और एक पाये तक अर्थात् नौ पार्यो तक एक राशि में रहता है, चन्द्रमा के राशि मे स्थित होने का यही क्रम बराबर जानना चाहिये ॥
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