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अनुक्रम
अध्याय १ स्थिरीकरण (श्लोक ४१)
७-१६ १-३. ग्रामानुग्राम विहरण करते हुए भगवान महावीर का राजगृह में
समवसरण। ४. प्रवचन-श्रवण के लिए लोगों का आगमन । ५. मगध के सम्राट श्रेणिक के पुत्र मेघ द्वारा दीक्षा ग्रहण । ६-७. रात्रिशयन से उत्पन्न अरति के तीन कारणों से मानसिक
विक्षेप। ८-६. सूर्योदय होते ही घर जाने की उत्कंठा से महावीर के पास
मेघकुमार का आगमन और मौन पर्युपासना । १०-११. महावीर द्वारा मेघकुमार को पूर्वजन्म के कष्टों की स्मृति
दिलाना। १२. मेघकुमार द्वारा प्रस्तुत जिज्ञासा। १३. जातिस्मृति ज्ञान के बिना पूर्व-जन्म की स्मृति नहीं होती। १४. ईहा, अपोह और मानसिक एकाग्रता के बिना जातिस्मति का
निषेध। १५-३०. महावीर द्वारा मेघकुमार के पूर्वभव का विस्तार से कथन और
। वर्तमान जन्म में राजकुमार होने की सार्थकता का निदर्शन। ३१. समभाव की दुर्लभता।। ३२. शरीर में उत्पन्न कष्ट को (समभावपूर्वक) सहना महान् फल
का हेतु। ३३-३४. मेघकुमार को कष्टों में अधीर न होने के लिए तर्कयुक्त बात
कहना। ३५-३६. मेघकुमार द्वारा श्रमण धर्म की दुश्चरता का कथन ।
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