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प्रस्तावना छन्दोंका भी प्रयोग किया गया है। किस स्तवनका कौनसा पद्य किस छन्दमें रचा गया है और उस छन्दका क्या लक्षण है, इसकी सूचना 'स्तवन-छन्द सूची' नामके एक परिशिष्टमें कर दी गई है, जिससे पाठकोंको इस ग्रन्थके छन्द-विषयका ठीक परिज्ञान हो सके। ___ स्तवनोंमें स्तुतिगोचर-तीर्थङ्करोंके जो नाम दिये हैं ले क्रमशः इस प्रकार है :
१ वृषभ, २ अजित, ३ शम्भव, ४ अभिनन्दन, ५ सुमति, ६ पद्मप्रभ, ७ सुपावं, ८ चन्द्रप्रभ, ह सुविधि, १० शीतल, ११ श्रेयांस, १२ वासुपूज्य, १३ विमल, १४ अनन्तजित् , १५ धर्म, १६ शान्ति; १७ कुन्थु, १८ अर, १६ मल्लि, २० मुनिसुव्रत, २१ नमि, २२ अरिष्टनेमि, २३ पार्श्व, २४ वीर ।
[ इनमें से वृषभको इक्ष्वाकु-कुलका आदिपुरुष, अरिष्टनेमिको हरिवंशकेतु और पार्श्वको उग्रकुलाम्बरचन्द्र बतलाया है। शेष तीर्थङ्करोंके कुलका कोई उल्लेख नहीं किया गया है।
उक्त सब नाम अन्वर्थ-संज्ञक हैं-नामानुकूल अर्थविशेषको लिये हुए हैं। इनमेंसे जिनकी अन्वर्थसंज्ञकता अथवा सार्थकताको स्तोत्रमें किसी-न-किसी तरह प्रकट किया गया है वे क्रमशः नं० २, ४, ५, ६, ८, १०, ११, १४, १५, १६, १७, २० पर स्थित हैं। शेषमेंसे कितने ही नामोंकी अन्वर्थताको अनुवादमें व्यक्त किया गया है। स्तुत तीर्थङ्करोंका परिचय ___ इन तीर्थङ्करोंके स्तवनोंमें गुणकीर्तनादिके साथ कुछ ऐसी बातों अथवा घटनाओंका भी उल्लेख मिलता है जो इतिहास तथा पुराणसे सम्बन्ध रखती हैं और स्वामी समन्तभद्रकी लेखनीसे उल्लेखित होनेके कारण जिनका अपना विशेष महत्व है और