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शाकेष्वन्दशतेषु । सप्तसु विशं पचोत्तरषतरां पातीन्द्रायुध नाम्नि कृष्ण नपजे श्री वल्लभे दक्षिणाम् पूर्वा श्रीमदवन्तिभूभृति नपे वत्साधिराजेऽपरां सौर्या (रा) णामधि मण्डले (लं) जययुते वीरे वराहेऽवति
अर्थात्-शक सं० ७०५ में जब इंद्रायुध नामक राजा उत्तर दिशा में राज्य करता था, श्री कृष्णराज का पुत्र श्री वल्लभ दक्षिण दिशा में राज्य करता था, पूर्व में अवन्तिराज, पश्चिम में वत्सराज और सौर्य मण्डल में जयवराह राज्य करता था। इसी वत्सराज के पुत्र नागभट ने सदा के लिए जावालिपुर से हटाकर राजधानी कन्नौज में स्थापित की थी। नाहड़ शब्द नागभट का ही पर्याय है। अतः इसी नाहड़ के समय महावीर जिनालय का निर्माण न हुआ हो? वत्सराज के समय उद्योतनसूरि ने ऋषभ जिनालय का ही उल्लेख किया है, विद्वान लोग विचार करें। यह नागभट प्रथम था और दूसरा नागभट नागावलोक आम राजा था जिसे बप्पभट्टिसूरि ने प्रतिबोध दिया।