Book Title: Swarnagiri Jalor
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Prakrit Bharati Acadmy
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तपा जयसागर कृत तीर्थमाला ( जैन सत्य प्रकाश वर्ष २२ अंक ८) सेभविथण जोधपुर जालोर भिन्नमाल मां ते जिन नमी आत्म तार । प्राचीन तीर्थमाला संग्रह भाग १ के अवतरणपं० महिमा कृत चैत्य परिपाटी (पृ. ५८ ) में
जालुर गढ मां सुदरू रे, देहरा छि उत्तग रे च० सहिस दोय इकताल स्युरे लाल, प्रतिमास्यु मुझ रंग रे च० सोवनगिरि मां साहिबा रे, उपरि वण्य प्रसाद रे च० पंच्यासी प्रतिमा कहुं रे लाल, भमराणीइ उल्हास रे च० शीलविजय कृत तीर्थमाला (पृ० १०३ ) से - जालोर नगरि गजनीखान, पिशुन वचन प्रभु धरिया जान । बजरंग संघवी वरीउ जाम, पास पेखि नइ जिमस्यु ताम ॥२५॥ स्वामी महिमा धरणेन्द्र धर्यो, मानी मलिक नि वली वसि कर्यो। पूजी प्रणमी आप्या पास, संघ चतुर्विध पूगी आस ॥२६॥ स्वामी सेवा तणि संयोगि, पाल्ह परमार नो टलीओ रोग । सोल कोसीसां जिनहरि सरि, हेम तणा तिणिकोधां घरि ॥२७॥
श्री ज्ञानविमलसूरि कृत तीर्थमाला (पृ० १३६ ) मेंसोवनगिरि तिहां निरखियो ए, जे पहिला जिन ठाम । विविध देहरा वंदिया निरमालड़ी ए प्रणम्यां ते अभिराम मनरहिए ॥४२॥ श्री मेघविजय कृत पार्श्वनाथ नाममाला ( पृ० १५० )
जालोरउ जगि जागई जी, मंडोवर मन लागइ जी। पं० मेघ विरचित तीर्थमाला (पृ० ५४) ___ श्री जालउरि नयरि भीनवालि, एक विप्र बिहु नंद विचालि । पं० कल्याणसागर कृत पार्श्वनाथ चैत्य परिपाटी (पृ० ७०) ___ जालोरै जग जागतो, सरवाडे हो सेवक साधार ।
रत्नाकर गच्छीय हेमचंद्रसूरि शिष्य जिनतिलकसूरि कृत सर्व चैत्य परिपाटी में
चारूपी फलउघी सामीय पास, जाल उरी नागरी जइ उची पास । कलिकुडि वाणारसी महुरी पास, सचराचरि जगथिउ पूरइ आस ॥२५॥
जयनिधान कृत पार्श्वनाथ स्तवन मेंजीराउलि जालोर उजेणी, फलवधि रावण इम बहु खोणी, नमियइ पासकुमार ॥
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