Book Title: Swarnagiri Jalor
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Prakrit Bharati Acadmy

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Page 48
________________ देकर इन्द्रपद लिया। इन्द्र के परिवार ने द्रम्म २१०० देकर मंत्री आदि पद ग्रहण किये। कलशादि सब मिलाकर विधि संघ ने-वहाँ द्रम्म ५२७४ व्यय किए। बीजापुर के वासुपूज्य विधि-चैत्य में माला ग्रहणादि द्वारा चार हजार द्रम्म सफल किये। श्री स्तंभन पार्श्वनाथ महातीर्थ में गोष्टिक क्षेमंधर के पुत्र यशोधवल ने ११७४ द्रम्म देकर इन्द्र पद लिया । इन्द्र परिवार ने २४०० द्रम्म देकर मंत्री आदि पद लिए। कलश आदि सब मिला कर बिधि संघ ने ७००० द्रम्म व्यय किए इसी प्रकार भरौंच में समुदाय ने ४७०० द्रम्म दिए । श्री तीर्थाधिराज शत्रुञ्जय पहुंचने पर आदोश्वर भगवान के चैत्य में योगिनीपुर निवासी सा० पूनपाल ने ३२०० द्रम्म से इन्द्र पद व इन्द्र परिवार ने मंत्री पद आदि लिए। सेठ हरिपाल ने ४२०० द्रम्म व अन्य सब मिला कर तीर्थ के भण्डार में २५० द्रम्म दिए। श्री जिनप्रबोधसूरिजी ने मिती जेठ बदि ७ को श्री आदीश्वर भगवान के समक्ष जीवानंद साधु एवं पुष्पमाला, यशोमाला, धर्ममाला, लक्ष्मीमाला को दीक्षित कर विस्तार पूर्वक मालारोपण आदि महोत्सव द्वारा विधि-मार्ग की प्रभावना की। श्रेयांसनाथ स्वामी के विधिचैत्य में द्रम्म ७०८ दिए । श्री उज्जयन्त-गिरनार तीर्थ में सा० मूलिग सुत सा० कुमारपाल ने द्रम्म ७५० से इन्द्रपद लिया व इन्द्र परिवार ने २१५० द्रम्म से मंत्री आदि पद लिए। वित्थरहि अज्जिय जलहर पीयूष किरण रवि कित्ति । विज्जा नई समुदं जिणरयण मुणिंद माइसिय ॥४६॥ नाणा राहण भूसण अणसणु सुगइं गइंद मारुढो। सज्जाण सिल्ह हत्थो तक्खणि सग्गं सुहं पत्तो ॥४९॥ षड्भिःकुलकम् ॥ उन्भड़ कसाय रिउ भड थड विहडण गहिय विक्कम फलेहि । खित्त सु दीन दुत्थिय सत्थे सुय विहधु दितेहिं ॥५०॥ दस दिसि मिलंत चउविह संघेहिं तित्थनाह सिन्नेहि । परिवरिओ मुणिराओ विहिणा जिणरयणसूरिवरो ॥५१॥ मुणिचक्कित्तो पहुत्त सफग्गुण कसिण?मीइ ठाविसु । सयल जग सज्जणणं नयणा माणसुपरमायं च ॥ २॥ त्रिभिःकुलकम् ॥ [ ३१

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