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सेना ने वीरता पूर्वक मुकाबला करके शाही सेना को असफल कर दिया सुल्तान ने पुनः आक्रमण करना तय किया और उसने समीयाणे पर आक्रमण किया । कान्हड़दे ने अपने भतीजे शीतलसिंह की भरपूर सहायता की और शाही सेना को हरा दिया। सुल्तान ने दूसरी वार समियाणा पर स्वयं सदल बल आक्रमण किया और सात वर्ष डेरा डाले रहा अन्त में गो मांस से जलाशय को अपवित्र करने के कुत्सित उपाय से उस पर आधिपत्य कर लिया। फिर उसने आधीनता स्वीकार करने के लिए कान्हड़दे के पास प्रस्ताव भेजा जिसे अस्वीकार करने पर अलाउद्दीन ने जालोर पर आक्रमण किया और जालोर के समीप ही शाही सेना ने पड़ाव डाला। इस समय सुल्तान के साथ उसकी शाहजादी फिरोजा भी थी जो कान्हड़दे के कुमार वीरमदे के गुणों की प्रशंसा सुनकर उस पर पूर्णतया आसंक्त हो गई थी सुलतान अलाउद्दीन ने विवाह का प्रस्ताव कान्हड़दे के पास भेजा जिसे उसने सर्वथा ठुकरा दिया। सुलतान ने जालोर पर घेरा डाल दिया पर वह असफल होकर दिल्ली लौटने लगा। कुमारी फीरोजा वीरमदे का दर्शन करना चाहती थी अतः वह थोड़ी सी सेना के साथ गढ़ में गई। कान्हड़दे ने उसका स्वागत किया। वीरमदे भी उससे मिला अवश्य पर उसने शाहजादी फीरोजा द्वारा स्वयं किये हुए विवाह प्रस्ताव को जाति मर्यादा की रक्षा के हेतु अस्वीकार कर दिया। राजकुमारी ने जालोर घूमफिर कर देखा, कान्हड़दे ने उसे प्रचुर मात्रा में भेंट देने के साथ ससम्मान बिदा किया। अलाउद्दीन इस आतिथ्य से प्रभावित होकर राजधानी लौट गया।
आठ वर्ष बाद फिर अल्लाउद्दीन की सेना ने जालोर पर आक्रमण किया। इस बार शाहजादी फिरोजा स्वयं न आकर अपनी धाय को सेना के साथ भेजा और उसे जीवित वीरमदे को बन्दी बनाकर लाने का कहा यदि वह वीरगति प्राप्त हो जाय तो उसका मस्तक वह ले आवे ।
जालोर पर घेरा डाला हुआ था, चार वर्ष युद्ध चला। मालदेव और वीरमदे ने कड़ा मुकाबला कर शाही सेना के छक्के छुड़ा दिए। किन्तु भण्डार रिक्त हो गया तो प्रजा ने स्वदेश के लिए पूर्ण सहायता की जिससे आठ वर्ष और शत्रु का सामना किया। बारह वर्ष युद्ध करने के अनन्तर दुर्भाग्य वश प्रलोभन में आकर सेजवाल वीकम द्वारा शाही सेना को गुप्त मार्ग का पता लग गया जिससे वह दुर्ग में प्रविष्ट हो गई। सेजवाल की स्त्री हीरादेवी ने अपने देशद्रोही पति को अपने हाथ से मार डाला और राजा को सूचना दे दी। राजपूत सेना थोड़ी ही रह गई थी। फिर भी वीरतापूर्वक लड़ते हुए कान्हड़दे मारा गया, वीरमदे ने साठ दिन तक युद्ध किया अन्त में रानियों ने जौहर किया और वीरमदे ने शत्रु के
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