Book Title: Swarnagiri Jalor
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Prakrit Bharati Acadmy

View full book text
Previous | Next

Page 107
________________ स्तवन स्तोत्रादि संग्रह श्री नगर्षि कृत जालुर नगर पंच जिनालय चइत्य परिपाटी श्री गुरु चरण नमी करी, सरसति समरीजइ, कवियण'माडी तु भली, निरमल मति दीजइ ; हरख धरी हुँ रचिस्यु हेव वर चियपरिवाड़ी, मन वंछित सुख वेलि तणी, वाधइ वरवाडी ॥१॥ सोहइ जंबूदीप भलु जिम सोवन - थाल, लांबु जोयण लाख एक, तेनु सुविशाल ; ते वचि मेरु महीधरू, जोयण लख तुग, भरतक्षेत्र दखिण दिशि, तेह थी अति चंग ॥२॥ मध्यम खंडि नयर घणां, नवि जाणु पार, श्री जालुर नयर भलु, लखिमी भंडार ; सोवनगिरि पासइ भलु, वाडी बन सोहइ, वनसपती बहु जाति भाति, दीठइ मन मोहइ ॥३॥ मढ मंदिर पायार' सार, धनवंत निवेस, न्यायवंत ठाकुर भलु, जाणइ सविसेस ; सावय सावी. धरमवंत, दातार अपार, दयावंत दीसइ घणा, करता उपगार ॥४॥ जैन सत्य प्रकाश वर्ष १० अंक ६ में श्री अंबालाल प्रेमचंद शाह संपादित । १. कविजन २. शोभित ३. ऊंचा ४. सुदर ५. प्राकार-गढ ६. घर ७. श्रावक ८. श्राविका ८२ ]

Loading...

Page Navigation
1 ... 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134